कीर्ति-स्तम्भ | Kirti-Stambh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
34 MB
कुल पष्ठ :
394
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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हि सेठ चम्यालाल रापस्वरूप रानीवाला
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शुभ् सन्देश
परमपूज्य १०८ मुनिवर श्रौ सुध्छगर जै महाद्न के अजमेर नगर में
सम्पन्न चर्तु की युण्य स्मृतयः के स्थायिन्व देतु तथा पूज्य मुनि. श्री के मंमन्
उपदिेशों को जनजन लक पहुंचाने के दृष्टि के दिगम्बर लैन खमिति, अनमेर द्वारा
०५अद्य् स्मारिका के प्रकाशन से अल्लण्जान्धकश के मेद्य का नाष दोग एवम्
जैनशणसन के झूर्य का प्रताप दिगदिगनद तक व्याप्त होग्ए।
मै तपः पूछ मुनिश्रेष्ठ पूज्य कुधासागर जी मढ़ाराज के पावन चरण कमलेंं
में अपनी विनयान्जलि प्रस्तुत करते हुए समिति के सभी उपक्नम कः खरल ढेतु
कारन: ऊऋरत्ए ढूं।
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(खछङनक्रुमार रष्नौकल्प)
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