मंगल मंत्र णमोकार एक अनुचिंतन | Mangal Mantra Namoukar A Anuchintan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
260
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१६ अङ्जुलमन्वर णमोकार : एक अनुचिन्तन
ओ = मारण भौर उच्चाटन सम्बन्धी बोजोमें प्रधान, शीघ्र कार्य
साधक, निरपेक्षी, अनेक बीजोका मूल ।
श्रं = स्वतन्त्र शक्ति रहित, कमभिवके लिए प्रयुक्त ध्यानमन्त्रोमे
प्रमुख, शून्य या अभावका सूचक, मकाद बीजोका जनक, अनेक मृदल
शक्तियोका उद्धाटक, लक्ष्मी बौजोका मूर ।
श्म: = शान्तिबीजोमे प्रधान, निरपेक्षावस्थामे कार्य असाधक, सहयोगी-
का अपेक्षक ।
क - शक्तिबीज, प्रभावशालो, सुखोत्पादक, सन्तानप्राप्तिकी कामनाका
पूरक, कामबीजका जनक ।
ख = माकाराबोज, अभावकार्योकी सिद्धिके लिए कल्पवृक्ष, उच्चाटन
बीजोका जनकं ।
ग = पृथक् करनेवाले कार्योका साधक, प्रणव और माया बीजके साथ
कायं सहायक ।
घ = स्तम्भक बोज, स्तम्भन कार्योका साधक, विध्नविघावक, मारण
और मोहक बोजोका जनक 1
इ शत्रुका विध्वसक, स्वर मातृका बोजोके सहयोगानुसार फलोत्पा-
दक, विध्वसकं बीज जनक ।
च = अगहीन, खण्ड शक्ति द्योतकं, स्वरमातुकाबीजोके अनुसार
फलोत्पादकं, उच्चाटन बीजका जनक ।
चछ = छाया सूचकं, माया बीजका सहयोगी, बन्धनकारक, आपबीजका
जनक, शक्तिका विध्वसक, पर मृदु कार्योका साधक ।
ज = नूतन कार्योका साधक, शक्तिका वर्द्धक, आधि-व्याधिका शामक,
आकर्षक बोजोका जनक ।
७ = रेफयुक्त होनेपर कार्यसाषके, आधि-व्याधि विनाशक, शक्तिका
सचारक, श्रीबोजोका जनक ।
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