मंगल मंत्र णमोकार एक अनुचिंतन | Mangal Mantra Namoukar A Anuchintan

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Mangal Mantra Namoukar A Anuchintan  by डॉ नेमिचंद्र शास्त्री - Dr. Nemichandra Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१६ अङ्जुलमन्वर णमोकार : एक अनुचिन्तन ओ = मारण भौर उच्चाटन सम्बन्धी बोजोमें प्रधान, शीघ्र कार्य साधक, निरपेक्षी, अनेक बीजोका मूल । श्रं = स्वतन्त्र शक्ति रहित, कमभिवके लिए प्रयुक्त ध्यानमन्त्रोमे प्रमुख, शून्य या अभावका सूचक, मकाद बीजोका जनक, अनेक मृदल शक्तियोका उद्धाटक, लक्ष्मी बौजोका मूर । श्म: = शान्तिबीजोमे प्रधान, निरपेक्षावस्थामे कार्य असाधक, सहयोगी- का अपेक्षक । क - शक्तिबीज, प्रभावशालो, सुखोत्पादक, सन्तानप्राप्तिकी कामनाका पूरक, कामबीजका जनक । ख = माकाराबोज, अभावकार्योकी सिद्धिके लिए कल्पवृक्ष, उच्चाटन बीजोका जनकं । ग = पृथक्‌ करनेवाले कार्योका साधक, प्रणव और माया बीजके साथ कायं सहायक । घ = स्तम्भक बोज, स्तम्भन कार्योका साधक, विध्नविघावक, मारण और मोहक बोजोका जनक 1 इ शत्रुका विध्वसक, स्वर मातृका बोजोके सहयोगानुसार फलोत्पा- दक, विध्वसकं बीज जनक । च = अगहीन, खण्ड शक्ति द्योतकं, स्वरमातुकाबीजोके अनुसार फलोत्पादकं, उच्चाटन बीजका जनक । चछ = छाया सूचकं, माया बीजका सहयोगी, बन्धनकारक, आपबीजका जनक, शक्तिका विध्वसक, पर मृदु कार्योका साधक । ज = नूतन कार्योका साधक, शक्तिका वर्द्धक, आधि-व्याधिका शामक, आकर्षक बोजोका जनक । ७ = रेफयुक्त होनेपर कार्यसाषके, आधि-व्याधि विनाशक, शक्तिका सचारक, श्रीबोजोका जनक ।




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