समीक्षा - दर्शन भाग - 1 | Samiksha - Darshan Bhag - 1
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
59 MB
कुल पष्ठ :
388
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सेद्धान्तिक समीक्षा ९
क्रो इतनी अधिक प्रमुखता तथा महत्ता प्राप्त थी कि काव्य का अथ
अलंकारत्व लिया जाता था एवं अलंकारत्व का अर्थ काव्यत्व समझता
जाता था। काव्य में अलंकार! की इस महत्ता तथा प्रधानता के
कारण काव्य के एक तत्त्व के आधार पर साहित्य समीक्षा को संपूरण
सैद्धान्तिक पद्धतियाँ अलंकार-शाख के नाम से अभिहित हृद | श्ल
कार হাজ ক प्रथम सम्प्रदाय के युग में काव्य सें अलंकार की व्याप्रि
इतनी अधिक बढ़ी कि दण्डी के अतिरिक्त सभी अलंकारवादियों ने
उस युग में अपनी सैद्धान्तिक समीक्षा संबंधी पुस्तकों का नाम अलंकार
के नाम से रखा जैसे काव्यालंकार ( भामह और रुद्रट रचित ),
काव्यालंकार सार-संग्रह ( उड्धट रचित ), काव्यालंकार सूत्र ( वामन
रचित ) आदि |
यद्यपि अलंकार सम्प्रदाय के युग में काव्य में अलंकार नामक तत्त्व
को आवश्यकता से बहुत अधिक प्रसिद्धि एवं महत्त्व मिला किन्तु अलं-
कार शब्द का प्रयंग उस युग को सैद्धान्तिक समीक्षा की पुस्तका में
इतने व्यापक) रूप में हुआ कि उसके अन्तगत काव्य में सौन्दर्य संपन्न
करनेवाले समस्त तत्त्तों तथा उपकरणों का समावेश हो जाता है।
इस प्रकार अलंकार शाख के नाम पर विचार करने स यह पता चला
कि काव्यः में सौन्दय--निरूपण, सौन्द्य-अनुशासन अथवा सौन्दर्य-
आस्वादन की विधि, पद्धति तथा मागं, दताने बाला शाखः ही उस
समय श्लंकार शाख के नाम से भिहित होता था
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१ काव्यशोमाकरान् धर्मान् अलंकारान् प्रचत्तते |
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