आज का भारतीय साहित्य | Aaj Ka Bharatiya Sahitya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
31 MB
कुल पष्ठ :
501
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१० भ्राज का भारतीय साहित्य
बारीकियां भी इस तई केविता मे विचित्र शैली भ्रौर श्रपरिचित भाषा
मे व्यक्त होती हं श्रत त केवल विषय-वस्तु परन्तु इस नई कविता
का बाह्य रूप भी एकदम नया है। ये कवि ऐसे हे कि जिन्होने पुराने
काव्य-रूप और टेकनीक छोड दिये हे और उन्होने मुक्त-छद को अपनाया
है। उनके कल्पना-चित्र नये हें, और जहाँ पुराने प्रतिमानों का प्रयोग
भी उन्होने किया है वहाँ एक विलक्षण ढग मे नया ्रथं ही उनकी
रचनाओो में परिलक्षित होता है।
इन प्रगतिशील लेखको मे इस प्रकार की प्रतीकवादी कविता के
सबसे प्रथम प्रयोग करने का श्रेय हेम बरुआ को है। बढआ की कल्पता-
चित्रावली नवीन और मौलिक तथा टेकनीक क्षिप्त और असाधारण है।
नवकात बरुआ ने भी इसी शोली में प्रयोग किये हे । उनका हे अरण्य,
है महानगर' एक एसी भाषा में लिखा गया है जिसमे बोल-चाल की
साधारण भाषा और कठिन सस्कृत शब्दो का विचित्र मिश्रण है। उनकी
नई काव्य-शैली कई प्रकार की उलभी हुई भाव-प्रतिमाश्रो से बोभिल
है) यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि पत्रकारिता ने इस नई कविता के
विकास में सहायता दी। विशेषत 'रामधेतु' ( इद्र-धनुष ) नामक
मासिक पत्रिका के आस-पास सब नये अ्रच्छे लेखक जमा हो गए हे, जैसे
वे एक परिवार के सदस्य हो । क्योकि इन तरुण कवियों में कई लोग
साहित्य को राजनीतिक और सामाजिक वाद-विवाद तथा अराजकतापूर्ण
और अव्यवस्थित रूप में प्रचार का माध्यम मानते है, भ्रत उनके पद्म
पत्रकारिता के स्तर से ऊपर नही उठ पाए। आधुनिक अ्रसमिया कविता
में सबसे खेदजनक स्थिति यह है कि पुराने कवियों ने प्रायः लिखना
बन्द कर दिया है, और तरुण कवि अभी प्रयोगावस्था मे ही है। श्रभी
असमिया मे सचे प्र्थो मे, तई कविता का जन्म होना बाकी है ।
नाटक
नाटक और रगभच दोतो क्षेत्रों में असमिया की परम्परा बडी
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