व्यक्ति और वाड्मय | Vyakti Ayur Vangmay

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Book Image : व्यक्ति और वाड्मय  - Vyakti  Ayur Vangmay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वाल्मीकि ११वीं शती में छुपाया | रामायण के सात काडो मे से प्रथम ओर श्रन्तिम, यानी सातवोॉँ प्रत्षित और बाद मे जोड़ा हुआ माना जाता है। क्योकि ये दोनो कांड अन्य काडो से काव्य-गुणों मे हीन हैं। प्रथम काड मे अयोध्या मे लक्ष्मण के विवाह की चर्चा है तो दूसरे काड में उनके बह्मचारी होने का सष्ट उल्लेख है। प्रथम और सप्तम कांड मे राम को संपूर्ण राष्ट्र का नेता चित्रित किया गया है, अन्य कांडो में राम का व्यक्तित्व जनपद तक सीमित है | प्रथम कांड में राम इन्द्र. के और बाद मे विष्णु के श्रवतार बताये गये हैं। प्रथम काड में वाल्मीकि को राम का समकालीन और द्र॒ष्ण ऋषि चित्रित किया गया है। अन्य कई आधारों से विद्वानों ने रामायण-काल निश्चित करने का यत्न किया है। महाभारत मे रामायण की केवल दो पंक्तियाँ मिलती हैं और 5शामोपाख्यानम? मी मिलता दे ! महाभारत मे उवाच श्रादि शली है, जिसका रामायण में अभाव है | पालि अन्थो मे कही भी रामायण का उल्लेख नहीं है। “दशरथ जातक? एक छोटा-सा জন্য है | पर रावण जसे अन्यायी का ( जिसकी विरा चट्टान मे खुदी, ज्ञमीन पर गिरी मूर्ति चादा मे हे) बाद के साहित्य कही भी केसे उल्लेख नहीं, यह आश्चय है। इसी कारण से लाइपजिग से १८६६ में प्रकाशित “गुरुपूजाकौमुदी” अन्थ मे हमेन ओल्डेनबर्ग ने माना है कि रामायण बोद्ध-धरम के उत्थान के पश्चात्‌ श्रथात्‌ ५०० ईसा पुवं स्वी गई ओर भी एक आश्चय की बात दे कि रामायण में युनानियों का कोई उल्लेख नही है। श्रलक्षेन्द्र (सिकन्दर) ने ३२७ ईसा पूर्व भारत पर आक्रमण किया था | रामायण उससे দুল की स्वना होनी चाहिये। ए० बेबर बहुत दूर की 'खीच-तान करके रामायण पर दोमर के हेलेन ओर ट्रॉय के युद्ध के कथानक ` के अनुकरण का मिथ्या आरोप लगाते हैं। यलिसिस और राम के चरित्र-निमाण में बड़ा श्रन्तर है | जेकोबी रामायण को बौद्ध-काल से पूर्वा इसलिए, मानते हैं कि रामायण मे पाटलिपुत्र का कोई उल्लेख नदी । रामायण मे सवत्र कोशल की राजधानी अ्रयोध्या कहा गया है, जब कि बौद्ध, जेन, युनानी ग्रन्थकार और 'पातर्जाल (१३० ईसा पूर्व) भी “साकेत' नाम लिखते हैं। रामायण मे मिथिला -की राजधानी विशाला माना गया है, जो कि एक स्वतन्त्र राज्य कहा गया ह । बौद्ध-काल में तो वेशाली गणतन्त्र हो गया था। सबसे बड़ा पुष्ट प्रमाण रामायण की प्राचीनता का भाषा-विज्ञान का है | रामायण की भाषा टकसाली लोक-प्रचलित सस्कृत है | अशोक ने अपने शिलालेख (२६० ईसा पूबे) और जुद्ध ने अपने सारे उपदेश (५.०० ईसा पूर्व) क्रमशः प्राकृत ओर पालि मे दिये;




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