आचार्य क्षेमेन्द्र | Acharya Chemendra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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५ ७ ) ( (छ) नममाला -- देशोपदेश की भाँति यह भी व्यंग्यात्मक रचना है। इसका प्रधान विषय है धूतं कायस्थ । उसके दंभ, रिश्वतखोरी, चालाकी आदि का साक्षेप वणन है। उसके व्यक्तिगत जीवनके कुत्सित रूप का भी विस्तार से चित्रण हुआ है। इस विषय में कवि पक्षपाती सा प्रतीत द्ोता है । बाद में नौसिखिया वैद्य, ज्योतिषी, गुरु आदि के भी साक्तेप वर्णन हैं। ३--रीति ग्रंथ-- रीति ग्रन्थ ्तेमेन्र के तीन प्राप्त है - (कवि करुठाभरण, श्रौ चित्य विचार चर्चा! ओर सुबृत्ततिलक! । इनमें से पहला कबि शिक्षा पर, दूसरा काव्यालोचन के औचित्य मार्ग की स्थापना पर तथा तीसरा छन्दं पर लिखा गया प्रन्थ है । इनमें सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण ই श्रौ चित्य विचार चचा । प्रत्येक का सुद परिचय दिया जाता है। (क) कवि कण्डाभरण--यह ১৬ श्लोककारिकाओं में लिखा पाँच सन्धियों का छोटा प्रन्थ है। अकवि को कवि बनाने की शिक्षा इसमें दी गई है पहली सन्धि में तीन प्रकार के शिक्षार्थी-अल्प प्रयत्न साध्य, कष्ट साध्य तंथा असाध्य बताये गए हैं। इनमें पहले दो को “कवि रुचि प्राप्त करने के लिए क्‍या करना चाहिए! यह बताकर असाध्य को अनुपरेश्य कहा है। दूसरी सन्धि में काव्य रचना के कुछ ब्याबहारिक अभ्यास बताकर सो उपायों का निर्देश किया हे जो कचि को कवि बनने के लिए करने चाहिए । तीसरी सन्धि में कविता में चमत्कार लाने का उपदेश ই । चमत्कार को काव्य का आवश्यक तत्व बता कर उसके भेदो का सोदाहरण परिगणन किया गया है । चोथी संधि गुण-दोष-विभाग पर लिखी गई दे । काव्य के इस अधिकरण को सरल तथा सुक्र्म बनाने की क्ेमेन्द्र की पद्धति अत्यन्त प्रशंसनीय है। पाँचवीं सन्धि में कवि के लिए लोक शास्त्र को विविध वस्तुओं का परिचय प्राप्त करने की आवश्यकता बताकर ग्रन्थ समाप्त कर दिया है। कवि शिक्षा जैसे व्यापक विषय पर इस प्रकार का सरल, सुघटित व्यावहारिक ग्रन्थ लिखना आचाये की परिष्कृत एवं निश्रांत बुद्धि का परिचायक है। (ख) ओचित्य विचार चर्चा-ओऔचित्य का काव्य का श्रात्म-




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