छिताईवार्ता | Chhitaivarta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १० ) प्राक्त ह्यो गयी त्रौर श्राजीवन उसके महलों में ही रही। यही फारण कि उसके कल्पित पति का नाम नारायण दास ओर नारायण दास से प्रभावित रतनरंग सौरसी और सुरंखी लिखते हैं तो जान कवि एकदम उतका नाम राम रख देते हैं । इसका कारणु संभवतः यही ইক্ষি আল फवि ने छिताइ का शुद्ध रूप छीता समझा है ओर छीता तथा सीता शब्दों में जो ध्वनिसाम्य दे उसके सहारे नायक के नाम की कयना राम आसानी से कर ली | श्राज हमारे पास निश्चित रूप से यह निर्णय करने का कोई साधन नहीं है कि वास्तव में रामदेव की उस पुत्री का नाम क्या था जो अलाउद्दीन की वेगम बनी थी। केवल एसामी ने अपने प्रथ फुतुहूस्सलातीन मे उसका नाम “मरतयायल्ली” लिखा है। इतिहास को यह भी पता नहीं दै कि अलाउद्दीन के इरम में कुल कितनी स्त्रियाँ उसकी पत्नी के रूप में रहती थीं। इसमें कोई संदेह नहीं कि उनकी संख्या विशाल होगी। जायसी ने कवि सुलभ निश्चिन्तता के साथ च्रलाउद्रीनके मुख से फहला दिया दै + सात दीप महँ चुनि चुनि आनी | सो मोरे सोरह सै रानी ।29 /अलाउद्दीन की कम से कम पाँच बीबियों का पता इतिहास को दै२। বললঃ ওল गुप्त रूप से अपना प्रथम विवाह मलिक संजर की बहिन माहरू से किया था। यही मलिक संजर शआ्रागे चलकर अलप खाँ बना था। प्रकट रूप मे उसका दूसरा? विवाह उसके चाचा सुब्तान चल्लाठहोन की पुत्री से ০২ আপদ পা তি পিল পপ এ পাতলা টি গা শা १ न कितो ०५ १--जियाउदहीन बरनी ने तारीखे फीरोजशाहयी में सुस्तान श्रलारदीन और काजी सुगीसका जो संवाद उद्धत फिया है उसमें मुगीस ने शराके आधार पर उस भारी खर्च का विरोध किया जो श्रह्वाउद्धीन अपनी सियो ओर अपने अंतःपुर पर व्यय करता था | डसी प्रसंग में अल्लाउद्दीन अपने संबंध में कहता है कि--“काजी मुगीस, मेंने कोई किताब नहीं पढ़ी किंतु कई पुरत से मुसलमान हूँ तथा समुसखलमान का पृत्र हैँ! उधर इस्लामी शराके अनुसार एक साथ चार पत्नियां तक रखना धर्मातुकूल माना जाता है । २--अलाउद्दीन का अपने एक चचा को पुत्री से संबंध था। इस बात से उसकी धमंपली खिन्न रहती थी ˆ उस लडकी का नाम माइरू था| यह अलप खां की बहिन थी । --'खलजीकालीन भारतः मेँ शअ्रब्दुल्ला बिन उमर का उद्धरण । २--सुस्तान जलालुद्ीनने मलिक छञ्जूके विद्रोह को शांत करने के पंइचात बदायूं से ललोटते समय अपने भतीजे और दामाद सुल्तान अलाउद्दीन




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