कीर्तिलता और अवहट्ट भाषा | Kiitilataa Aur Avahatta Bhaashha
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
266
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विषय-सूची
प्रथम खण्ड
( अवहद्य का स्वरूप और कीजिलता का भाषाशास्त्रीय अध्ययन )
१--अवहड भाषा का स्वरूप ; १-२४
अवहद्द क्या है--अवहद् और परवर्ती अ्रपश्न॒ श--अवहडद॒ मिथिला-
ঘ্সহা नहीं है - अवहद्द और पिंगल--अ्रवहद्ट और प्रान्तीय भाषाएँ---
अवहद् और पुरानी हिन्दी--अवहद्द की ऐतिदासिक पष्ठभूमि ।
२--अ्रवदृष्ट का काल निर्णय : २५-३१
टेम व्याकरण के शअमन्तःमाद्य पर-उक्ति व्यक्ति प्रकरण और लोक
अपभ्रंश--मुग्धभोध ओक्तिक और अवहद्द की अन्तिम सीमा
३-अवहद् ओर देसिलवश्नन : ३२-१८
अपभ्ररश और देशी का विवाद,--दे शी शब्द- देशी भाषा
४--अवहद् की रचनाएं : ३६-४८
अपभ्रंश के देश-भेद- विद्यापति की फुटकल श्मवहट्र-रचनार्प-
चर्यागीत--गुजंर काव्य संग्रह की रचनाएँ-- रणमछछुन्द--अवहद्द का
का गद्य--उक्ति व्यक्ति प्रकरण--वर्णे रत्नाकर--आरराधना--प्रथ्वी
चरित्र--अतिचार--सवंतीर्थनमस्कारस्वन--अवहद्दध गद्य की
विशेषताएँ ।
५--अ्रवहद्ध की मुख्य विशेषताएँ और उसका हिन्दी पर प्रभाव : ४६-७५
श्रवहद्ट श्रौर हिन्दी--ध्वनि सम्बन्धी विशेषताएँ--पूर्व स्वर पर
स्वराघात--क्षतिपूरक दीर्घीकरण की सरलता--अ्रकारण सानुना-
सिकता-- संयुक्त स्वर-स्वर संकोचन ( ५५०४६] (०70790०६607 )
द्रकारण व्यंजन द्वित्व--रूप विचार--निर्विभक्तिक प्रयोग--चन्द्र
विन्दु का कारक विभक्ति के रूप में प्रयोग--परसगे--सर्वनाम--
क्रिया मूतज्दन्त को सामान्य वर्तमान के रूप में प्रयोग--ददुहरी पूवे-
कालिका क्रियाएँ--संयुक्त क्रिया--सहायक क्रिया--वाक्य विन्यास--
शब्द समूह
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