कीर्तिलता और अवहट्ट भाषा | Kiitilataa Aur Avahatta Bhaashha

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Kiitilataa Aur Avahatta Bhaashha by शिव प्रसाद सिंह - Shiv Prasad Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय-सूची प्रथम खण्ड ( अवहद्य का स्वरूप और कीजिलता का भाषाशास्त्रीय अध्ययन ) १--अवहड भाषा का स्वरूप ; १-२४ अवहद्द क्या है--अवहद् और परवर्ती अ्रपश्न॒ श--अवहडद॒ मिथिला- ঘ্সহা नहीं है - अवहद्द और पिंगल--अ्रवहद्ट और प्रान्तीय भाषाएँ--- अवहद् और पुरानी हिन्दी--अवहद्द की ऐतिदासिक पष्ठभूमि । २--अ्रवदृष्ट का काल निर्णय : २५-३१ टेम व्याकरण के शअमन्तःमाद्य पर-उक्ति व्यक्ति प्रकरण और लोक अपभ्रंश--मुग्धभोध ओक्तिक और अवहद्द की अन्तिम सीमा ३-अवहद् ओर देसिलवश्नन : ३२-१८ अपभ्ररश और देशी का विवाद,--दे शी शब्द- देशी भाषा ४--अवहद् की रचनाएं : ३६-४८ अपभ्रंश के देश-भेद- विद्यापति की फुटकल श्मवहट्र-रचनार्प- चर्यागीत--गुजंर काव्य संग्रह की रचनाएँ-- रणमछछुन्द--अवहद्द का का गद्य--उक्ति व्यक्ति प्रकरण--वर्णे रत्नाकर--आरराधना--प्रथ्वी चरित्र--अतिचार--सवंतीर्थनमस्कारस्वन--अवहद्दध गद्य की विशेषताएँ । ५--अ्रवहद्ध की मुख्य विशेषताएँ और उसका हिन्दी पर प्रभाव : ४६-७५ श्रवहद्ट श्रौर हिन्दी--ध्वनि सम्बन्धी विशेषताएँ--पूर्व स्वर पर स्वराघात--क्षतिपूरक दीर्घीकरण की सरलता--अ्रकारण सानुना- सिकता-- संयुक्त स्वर-स्वर संकोचन ( ५५०४६] (०70790०६607 ) द्रकारण व्यंजन द्वित्व--रूप विचार--निर्विभक्तिक प्रयोग--चन्द्र विन्दु का कारक विभक्ति के रूप में प्रयोग--परसगे--सर्वनाम-- क्रिया मूतज्दन्त को सामान्य वर्तमान के रूप में प्रयोग--ददुहरी पूवे- कालिका क्रियाएँ--संयुक्त क्रिया--सहायक क्रिया--वाक्य विन्यास-- शब्द समूह




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