संघर्ष | Sangharsh
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.14 MB
कुल पष्ठ :
67
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about भगवत शरण उपाध्याय - Bhagwat Sharan Upadhyay
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सच थक जगा था । यज्ञसेन चुरप्र को मटकारकर योवत्स के पीछे दौड़ा । गोचत्स भागा । जब तक उसके पीछे मांगता यज्ञसेन साधवी- निकुंज की झाड़ में हुआ चुरप्र ने दूसरो गाय का वत्स सिरगेक्ष कर दिया । वह भी माँ के स्तनों से आा लगा । सुरप्र चिल्ला उठा--यज्ञसेन यज्ञसेन विडाल ने दूघ में मुँह लगा दिया । दौड़ो दौड़ो 1 विडाल दूसरी साय का बड़ा था जिसे जुरम ने छोड़ दिया था। यशसेन ने प्यार से बल्ले का सास विडाल रखा था। यज्ञसेन ने समझा कि बिल्ले ने दूघ के मटके में मुँह डाल दिया । हाथ में श्ाया बल्ढ़ा छूट गया और चह उतावल्नी में पीछे दीड़ा परम्तु मटके के समीप साजीर को ने देख उसे हाथ आए वत्स के छूटसे का स्मरण ाया और उसने सकोप चुरप्र की शोर देखा । सुर से गाय की छोर संकेत कर कहा--खुद्धिज्िष्ट श्राह्मण यज्ञसेन रे उधर देख उधर--छष्णा गो की झोर | देरा प्रिय विडाल़ तुमसे भाई का प्रतिशोध ले रहा है। यज्ञसेन ने चकचकाकर कृष्णा की ओर देखा छोर पलक मारते नद्द उसकी ओर दोड़ा । कृष्णा हाल की व्याई थी यज्ञ- सेन को झपनी छोर बढ़ते देख बह इस पर मपटी यज्ञसेन पीछे की आर सागा पर इसका पाँव गोबर पर पड़ा और बह तुरन्त प्रथ्वी चूसने लगा । हाय हाय करता शुरप्र हँसी रोके यज्ञसेन की सद्दायता को बढ़ा ।
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