हिन्दी साहित्य समीक्षा | Hindi Sahity Samiksha

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Hindi Sahity Samiksha  by श्रीयुत गुर्ती सुब्रह्मन्य - Shreeyut Gurti Subrahmny

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्रीयुत गुर्ती सुब्रह्मन्य - Shreeyut Gurti Subrahmny

Add Infomation AboutShreeyut Gurti Subrahmny

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( ५ ) समालोचना उस सिद्धान्त या सामान्यतत्व को खोजने का प्रयन्न है जो प्रत्येक मतभेद के अन्तगत विलीन रहता है ।” इसी मत का अनु- सरण करते हुए अमेरिका के प्रसिद्ध दाशनिक एमसन ने कहा था कि “सबसे बड़ा समालोचक वह ऐक्य है, वह परम आत्मा है, जिसमें कि प्रत्यक व्यक्ति की आत्मा अन्तहित है, ओर सबके साथ जिसका संयोग हो जाता है |”? इस परिभाषा में इहत्तोक की वास्तविकता का बिलकुल ही ध्यान उड़ा दिया गया है । एक श्र ष्ट भाषा में समालोचना का महत्व प्रकट किया गया है । इसस यह प्रतीत हाता है कि समालोचक अस्थिचमेमय- देह का कोई पुरुष या खरी नहीं है वरन्‌ यदि इश्वर नदीं ता इश्वर तुल्य अचबश्य है जो कि सृष्टि-संयाग के महान काये में संलग्न है । एक चित्रकार के दृष्टिकाण को सामने रखते हुए हेजलिट लिखता हे--“'मेरी समम में सच्ची आलोचना किसी भी कृति के रंग, | घूपछाँह, आत्मा और शरीर को प्रकट करती है ॐ” एक चित्रकार का काये इसमें पूर्णतया था जाता है। कारे कलाकार का दृष्टिकाण पेटर के शब्दों में स्पष्ट है:-“ कवि या चित्रकार के गुणों को प्राप्त करना, उसका अनुभव करना ओर उसे प्रकट करना--ये तीन ही उसके कतंव्य की सीढ़ियाँ हैं ।” समालाचक के प्रति यदि एक उपन्यासकार का मत जानना ते है तो हमें अनातोले फ्रान्स की शरण लेनी होगी वह कहता है कि “समालोचना विचित्र मस्तिष्क वाल पुरुषों के प्रयोग के लिये दशन ओर इतिहास की तरह एक प्रकार का उपन्यास है |? अच्छे समालोचकं के लिये यह आवश्यक है कि वह आत्मा के विभिन्न व्यापारों ओर अनुभवों को बड़े रोचक इङ्ग से वणन क्रे । उसका काये तब तक अपूर्ण रहेगा जब तक कि उसकी वणन शैली -----~- ~---------- ~~ ऋहैजलिट करत टेबिलटाक? से ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now