टोबा टेकसिंह | Toba TekSingh
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.83 MB
कुल पष्ठ :
228
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
परिचय :-
जन्म : 11 मई 1912, समराला (पंजाब)
भाषा : उर्दू
विधाएँ : कहानी, फिल्म और रेडियो पटकथा, पत्रकारिता, संस्मरण
मुख्य कृतियाँ
कहानी संग्रह : आतिशपारे; मंटो के अफसाने; धुआँ; अफसाने और ड्रामे; लज्जत-ए-संग; सियाह हाशिए; बादशाहत का खात्मा; खाली बोतलें; लाउडस्पीकर; ठंडा गोश्त; सड़क के किनारे; याजिद; पर्दे के पीछे; बगैर उन्वान के; बगैर इजाजत; बुरके; शिकारी औरतें; सरकंडों के पीछे; शैतान; रत्ती, माशा, तोला; काली सलवार; मंटो की बेहतरीन कहानियाँ
संस्मरण : मीना बाजार
निधन : 18 जनवरी 1955, लाहौर (पाकिस्तान)
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सती रुप देखने के लिए. ने मिफ इच्छुक था बह्वि उसे खोजता भी रहता था । उसकी वीवी र्गादिई उसकी इस किस्म बी बेकर्रारिया दो देकर श्राम तौर पर यह कहा करती थी भी बुआ खोदा ही नहीं गया झौर तुम प्यास से बेहाल हो रह हो 1 का बुछ भी हो पर उस्ताद मगू नये वानून के इतजार मे इतना बेचने नहीं था जितना दि उसे श्रपनी तबियत दे लिहाज से होना चाहिए था । चह श्राज नये कानून को देखने दे लिए घर से निवला था ठीव उसी तरह जस वहू गाधी या जवाहरलाल दे जुलूम वो देपने के लिए निष सना था 1 चेताजी वी महानता का झनुमान उस्ताद मगू हमेशा उनवे जुलूस के हंगामा घौर उनके गले मे डाली हुई फूलों की सालाग्रा से किया बरता था । भ्रगर गेंद ने पूला स लदा हो तो उस्ताद मगू के नज- दीक बह चढ़ा भ्रादमी था जिस नेता ये जुनूस में भीड की वजह से दो-तीन दे होते दोति रह जप्ते वह उसकी नजर में श्ौर भी बड़ा था 1 अब नये बानून वो वह अपने जेहुन के इसी तराजू मे तोलना थाहता पया। भ्रतारवली से निवनकर वह माल रोड को चमवीली सढघ पर अपन तागे वो. धीरे धोर॑चला रहा था वि मोटरा थी मे पास उसे छादनी वो एक सदारी मिल गई । किराया तय बरने के वाद उसने प्रपने घोड वो चावुव दिखाया श्रौर मन में सोचा चला यह भी श्रच्छा डुम्ना ।. गायद छावनी स ही नये वानून का कुछ पता चल जाय । छावनी पहुचवर उस्ताद भयू ने सवारी को उसवी मजिल पर उतार दियए भर जद से लिवासरुगर दाए हाय दी प्रात्िसो दा उगलिया मे दबापर सुरगापा आर पिछली सीट बे गहदें पर बैठ गया जय उम्ताद मगु वो किसी सवारी थी तलात नही होती थी या उस विसी बीनों हुई घटना पर गौर बरना होता तो वह झाम तौर पर अगली सीट छोरवर पिटिगो सोद पर यठ जाता और चड़े इत्मीनान से अपन घोड़े की लगान दायें हाथ वे जपेट बरता था । ऐसे अरमरा पर उसया घोड़ा पोडा सा हिलहिनाने के वाद बडी घोमी बाल नया बानून | 17
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