विद्यापति युग और साहित्य | Vidyapati Yug Aur Sahitya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
345
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)र दिद्यापति - गुग और साहित्य
तथा मध्य भारत के अधिकाश भागों पर फैला हुआ था। हा एनसाग ने अपने यात्रा-
विवरण मे लिखा है कि तिरहुत हप॑ के विज्ञाल साम्राज्य का एव भाग था। ६३४ ई०
में वह तिरहुत आया था तथा वहाँ बौद्ध धर्म के मिटते हुए प्रभाव को देस बर उसे
कुछ हुआ। उस समय मिथिला, काशी तथा प्रयाग ब्राह्मण धर्मपरे गढ बन
चके थ 1५
चीनो यात्री वाग-ह्ाय एन त्सि के अनुसार हपे को मृत्यु वे बाद उसके सिहासन
तथा साम्राज्य उसके तिरहुत-स्थित एक मत्नी अजुन या अदुणाश्व के हाथा ম নল
गए । इसके एक चीनो पर्यटक-दल पर नाप्रमण फरन से ब्र होकर तिब्बत बै राजा
द्वारा तिरहुत पर आक्रमण, अजुन की पूर्णस्पेण पराजय एवं उसबा बन्दी बनावर
चीन ले जाये जाने की अनुश्रूति पर आधारित घटना को विस्सेण्ट स्मिथ ने अपने भारत
के इतिहास म महत्त्व दिया है ।* पर डा° मजूमदार इस मत से सहमत नही । वे इसे
सेमाचव कहानी के अतिरिक्त जीर कु नदौ मानते ।3
चस्तुन अजुन तिरहृत का स्थानीय ब्राह्मण प्ररामकं या राजा रहा हो, यह्
अधिक सम्भव है । तिथ्वती सेना के हाथों उसका पराजित होना तथा तिरहुत पर
बुछ्ध काल क॑ लिए तिब्बती आधिपत्य हो गया हो, यह भी सम्भव जान पड़ता है।
यह आधिपत्य ७०३ ई० तक रहा ।४ पर सीलवान सेवी नेपाल पर तिब्बतियों का
आधिपत्य ६६७ तक मानते है । इसो वर्ष से नेपाली सवत प्रारम्भ होता है, जो
सभवत उनके तिब्बतियों के शासन से मुक्त होने के अवसर पर चलाया गया ।
तिरहुत को तिब्बती आधिपत्य से मुक्त करने का श्रेय पराक्रमी राजा
आदित्यसेन को है । इसको मृत्यु के उपरान्त देवगरप्त, विप्णुगुप्त तथा जीवगुप्त
क्रमश उत्तरापय के सम्नाट हुए। त्तिरहुत भी इनके साम्राज्य वा अग अवश्य
था। इसमै अनन्तर वाक्पति कृत 'मौडवाहो' के एक उल्लेख के अनुसार राजा यश्यो-
वर्मेन के आनक से ही मगधराज के पलायन तथा उसकी हिमालय-क्षेत्र की विजय
बा सकेत मिलता है | इसके अन्तर्गत तिरहुत या मिथिला प्रदेश भी होगा।
आठवी दाताब्दो के मध्यमे कारमीर-नरेश जयदेव ने वगाल-बिहार पर
आक्रमण-अभियान किया तथा पचगोड (जिसमे तीरमुक्ति भी था) जीत कर उसे अपने
इवसुर के आधिपत्य में दे दिया । यही व्यक्ति सम्भवत पाल वश्ञ का संस्थापक मुप्रसिद
गोपाल घा 1“
टूं विल्स ऑफ युआन शाय--रेंयस डविस, पू० ६३-८० ।
अरलों हिस्दो ऑफ इण्डियः--वी० ए० स्मिथ, पृ० ३६६-६७ |
हिस्द्री ऑफ बगाल--डॉ० आर० सी० मजूमदार, खण्ड १, पृ० €२ ।
हिस्दी ऑफ मिथिला--डॉ० उपेन्द्र ठाकुर, पू० २०१1 ४
सम हिस्टोरिक्ल इन्धक्िप्शन्म आफ बगल --वी० सौ० सेन 1
न ५ ^ ~
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