परिषद् पत्रिका | Parishad Patrika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
28 MB
कुल पष्ठ :
766
श्रेणी :
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कुमार विमल - Kumar Vimal
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छविनाथ पाण्डेय -Chhavi Nath Pandey
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रामदयाल पाण्डेय- Ramdayal Pandey
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ড় ४ ब [१
অল, দহ &० ] अरन-सस्छृति को संस्कृत-वाडमय कौ देन [ १३
भारतीय चिकित्साशास्त तथा अन्य विज्ञान-सम्बन्धी जितने ग्रन्थ अरबी-भाषा
मे अनूदित हुए थे, उनमे अब कुछ ही भूर्णङ्प से सुरक्षित है, शेष या तौ नष्ट हौ चुके है
अथवा बाद के ग्रस्थो मे उद्धरणों के रूप मे मौजूद है । इनमे सबसे प्रमुख 'सुश्रुतसंहिता है,
जिसका अनुवाद अरवी-भाषा मे सत्र” के नास से घंका ने किया था। इसके अतिरिक्त,
दो अन्य सस्कृत-प्रन्थो ससिघसान' तथा 'इल्तनगीरः (अरबी-रूपान्तर) की चर्चा याकूबी ने
की है, जिनका अनुवाद इव्मधन के हारा किया गया था।' अब्दुल्ला अली ने दूसरे
परसिद्ध कं्क-ग्रन्थ चरकसंहिता का अनुवाद फारसी से मरवी-भाषा मे क्रिया था।
सुलेमाव इशाक के आदेश से संका ने ओपधिविज्ञान-सम्बन्धी एक सस्क्ृत-ग्रन्थ का अनुवाद
किया था। भारतीय चिकित्साविज्ञान (आयुर्वेद) पर लिखे गये ग्रन्थो की एके वृहत्
सूची इब्त अल-सादोम ने प्रस्तुत की है,' जो इस बात का द्योतक है कि अरब के विद्वानों
की इस क्षेत्र मे बहुत गहरी रुचि थी। उवारिञ्मी के अनुसार, इस विषय पर लिखे गये
छोटे-छोटे ग्रन्थो के अतिरिक्त, जातक (?) द्वारा पशु-चिकित्साविज्ञान पर लिखी गई एक
पुस्तक का भी अरबी-भाषा में अनुवाद किया गया था 1৩
इस भकार, हम देखते है कि अरव मे चिकित्साविज्ञाम की जो भी प्रगति हुई,
उसमे आयुर्वेद पर लिखे गये सस्क्ृत-ग्र्थो का सर्वाधिक योगदान रहा। “चरकसहिता' हो
अथवा 'सुश्रुतसंहिता' अथवा अन्य अत्थ, अरव के विद्धानो ने उनका बडे मनोयोग से
अध्ययन किया और फिर अपनी भाषा, मे अनुवाद भी किया । जैसा ऊपर कहा जा चुका है,
खलीफा हारून-अल-रसीद (सन् ७८६-८०९ ई०) ने बगदाद में विकित्सा-विद्यालयो
एवं जस्पतालो की स्थापना के लिए भारत से कत्तिपय बैद्यो को बुलाया था, जिसमें मंका,
सालिह बिच वहलाहू, कंका तथा ज्ञावक सिझल के नाम' विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
उसूयबियह् ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “उयून-उल-अन्ह तबाकत-इल-अतीम'ड से संका का
उल्लेख करते हुए उसे 'प्रसिद्ध भारतीय वैद्य! कहा है । इस अन्थ मे लगभग ४०० अरब,
ग्रीक तथा भारतीय वैद्यो की जीवनी दी गई है और साथ ही यह भी कहा गया है कि
जब हारूतन्अल-रसीद वहुत ही बीमार थे और उनके दरबार के चिकित्सक उन्हे नीरोगं
करने में असफल' रहे, तव खलीफा का इलाज करने के लिए भारत से प्रसिद्ध वैद्य संका
छो जामन्तित किया गया । जब संका की ओोपधि से खलीफा प्रूर्णतं नीरोग हो गये,
१. अलबेझनीजु इण्डिया, पुृ० ३४५1
२६ भाग १, प्ृ० १०५, इब्त अल-वादीस ते सिघसान को 'सिन्दस्ताक कहा है ।
३५ सचउ का ऐसा मत है कि इस भारतीय वंद्य का नाम वन्य अथवा 'धनिन्' था,
जिसकी उत्पत्ति सम्भवत: देवताओं के बैच धन्वन्तरि के नाम से हर्द थी सौर
जिसका उल्लेख 'मवुसंहिता' तथा मह्ाकाव्यों ( रामायणः तथा 'महामारता) में
भरी सिलता है (ब्र०, 'अलबेख्चीजु इण्डिया', सुसिका, पृ० ३२) )
४. इस भरस्य भें विभिन्न वर्गो के चिकित्सकों से सम्बद्ध सुचनाओं के स्ोतों का भी
उल्लेखं है 1-ले०
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