साहित्य - सरोवर | Sahitya Sarovar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
68
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ७ )
श्राया हूँ श्रीक्ृष्ल चोले-अक तू निमंथ चला जा, हमारे पद
के चिन्ह तेरे सिर पर देख तुझ से कोई न बालेगा। ऐसे कह
श्रीकृष्णचन्द्र ते तिसी समय गरुड़को दुल्लाय कातो के मन का
भय मिटाय दिया | तव॑ काझी ने धूप, दीप, नेवेद समेत विधि
से पूजा कर बहुत सी मेंद श्रोकृष्ण के रागे धर कर हाथ जोड
घिनती कर घिदा होय कहा--
चार घरी नाचे सा साथा।
यष्ट भमन प्रीति राखिये नाथा ॥
यो कह दणडवत छर काली तो कुटुम्ब समेत रौनक दीप को
गया ओर श्रीकृष्णचन्द्र जल से बाहर आये ।
, उद्धरणी
१-- श्री शुकदेव जो ने राजा परीति से काली के विषयमे क्या बात कद्दी ?
२--भ्रीकृष्ण जी ने नाग को किस भोति नाथा ? संक्षेप में वर्णन करो ।
३--अम्त से क्या क्या गुण हैं? ,. --
४--नीचे के मुद्दावरों का श्रथ स्पष्ट करो :--
विप डगब्नना,, तेज सहना, हाथ पसारना |
नीचे के शब्दो के शुद्ध संस्कृत शब्द बताओ :--
पष्ठी, दुध, गद, सामथ । |
६--नागपली ने भगवान कृष्ण से क्या प्राथना की थी ?
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