बातां री फुलवाड़ी | Bataan Ri Fulwari
श्रेणी : लोककथा / Folklore
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
372
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वना यही लगती है कि पुराने खंडहर , मन्दिर या ऐसी ही उजड़ी वस्ती ने सर्प '
के निवास के खजाने -की धारणा को जन्म दिया होगा । सप॑ को दैविक ऐडवर्ये
का रक्षक भी माना गया है और उसी विश्वास का फल खजाने के रक्षक के रूप
में हुआ हो 1
घन और, संपत्ति की रक्षा करते हुए सर्प के विश्वास की बात तो यहीं
समाप्त हो जाती है किन्तु लोक-कथाओं में उम्तके द्वारा रक्षित खजाने का क्या
होता है -- यह महत्त्वपूर्ण वात है । सपं के पास संपदा ओर रेद्वर्यहैतो वह उप्तका
प्रयोग किस रूप में कर रहा है । यहां सर्प के माध्यम से सामाजिक व्यवस्था के
बीच धन संबंधी मूल्यों का ज्ञान होने लगता है । धन के अभाव में समाज की
उपेक्षा , निर्धनता के कारण हीनता का भाव , सामान्य पारिवारिक कार्यों को इज्जत
से निभा पाने की असमर्थता आदि ऐसे तथ्य हैं जो सर्प के खजाने के हारा वांछा -
पूत्ति की मनोभावनाओं को सहलाता है। एक चमत्कारी संयोग से सर्प स्वयं मथवा
उसका खजाना मनुष्य को राहत देने पहुंचता है । तब क्या यह सोचना गछत होगा
कि सर्प और उप्के लोक का ऐव्वर्य मनुष्य की सामान्य वांछा को पूरने वारा एक
प्रतीकात्मक संयोग है? फुलवाड़ी के दसवें भाग की “बांड्यी वीर” एवं “काकछिदर
री सुगराई” नामक दो कथाओं में निर्धन बहू एवं निर्वतर कन्या के कष्डों को सर्प
अपने ऐड्वर्य और संपदा से दूर करते हैं। “ वांड्यौ वीर ' सकसे छोटी बहू के दुःख
मौर दारिद्रय को देखकर , उसका राखी - वंध भाई बनता है और दुःखों से छुट-
कारा दिलाने के लिए नागलोक में ले जाता है । नाग - परिवार के साथ ही वह
सुख से रहने लगती है । “काछदर री सुगराई' में एक निर्वन परिवार की उस
कषिनाई मं सपं द्वारा मदद करना जवर गरी्री के कारण कन्या का विवाह असंभव
बन जाता है। यहां सर्प की कृतनजता का कारण उसे प्रति दिन दूध पिछाया जाना है।
इस कथा के सर्प में चमत्कारिक शक्ति के द्वारा हीरे -मोती को उत्पन्न करने का उल्लेख
है । वस्तुत: सांप खजाने का मालिक नहीं अपितु हीरे - मोती का अलौकिक सृजनहार
है । उसकी पूंछ कटाने पर खुन की बूंदों से छाल मोती बनना अथवा अपनी
वावी पर सात बार फत मारने से सजे सजाये भवन का बन जाना स्पष्ट करना
है कि उसमें धन की रक्षा के बजाय ऐवड्वर्य उत्पन्न करने की क्षमता है ।
यदि इन दोनों कथाओं से सर्प को निक्रा दें तो समाज के परिवार के दो
चित्र मिलते हैं | एक में परिवार के एक निर्धन भाई की व हैं की प्रताड़ना का
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