आकाशवाणी विविधा | Akashvani Vividha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
226
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)३१०० का नोट ও
--वाव् जी, मैने नही लिया नोट---वह रुआवना हो झाया--आप मेरे माई-वाप है,
क्या आगे मैने कुछ चुराया है?
--तृ तो बड़ा सत्यवादी हरीचन्द है। पहले भी तो भीख मांगता, चोरी करता था। आज
इस बड़ नोट को देख के फिर नीयत फिसल गई होगी 1
नयुआा ने उत्तर नही दिया, सिर झुकाएं रहा। मुन्ना भी आ गया था । वह नए खून का
लड़का है। उसने तो सवेरे ही नयुआ को चोर करार दिया था। अब तो वह विश्वास सत्य
वन चुका था! सारौ रात हमने साम-दाम, दड-भेद से कामले कर नोट का पता जानना चाहा 1
परन्तु चयुआ था कि एक चुप श्ौर सौ को हराए. . वस रोए जाता था । रात भर मैं
उसे साथ लेकर फिर घर का राई-रत्ती खोज गया। नोट नही मिला और अब मेरा सन्देह
भीं जड पकड गया था ।
-वदमाश, कमीने, चोर ! वता नोट कहा रखा है ?--मैनें उसके कान खीच कर दो
झापड़ रसीद किए। मुन्ना ने भी काफी मरम्मत को परन्तु नथुआ की नहीं” 'हा' में नहीं
बदली । उसकी कोठरी में रखें उसके दूठे बक्स की तलाशी भी ली, . .उत्तमें फूदी
कौड़ी भीनथी।
--आुलिस में दे दो जी--पत्नी चीखी--यू ऐसे कवूलने वाला नही। जब वहां चूतड़ो पे
वेत पडगे, एक मिनट मे चीं बोल जाएगा 1
मुझे भी उसके टर्े मन पर क्रोध था, नोट उसके सिवा किसी ने नही लिया । घर में कुल
तीन प्राणी हैं और चौथा नथुआ है। मैने उसका हाथ पकडा और थाने ले चला। वह घर से
चाहर नही जाना चाहता था । द्वार से चिपट गया । मन्ना ने खींच कर वाहर किया । हेम दोनो
चले ! थाना सामने आरा गया ।
--अब भी बता दे--मैने पूछा--नही तो फिर तू है और जेल है ।
जेल ! , . . . . .नथुआ एक बार कांपा और फिर बोला--वाबू जी घर से चलो।
मैं रुपये अभी देता हू ।
भ्रोफ कंसा पक्का चोर ह, कितनी मुदिकल से क्वूला हं ! . . . . . . मैं उसे लौटा कर घर
लाया, अ्रपनी कुठरिया का एक कोना खोद कर उसने एक हडिया निकाली उसमें से बिन कर
रुपये निकाले, कुल पच्चासी रुपये निकले ?
--नोट तुड़ा कर उसने एक दिन में पन्द्रह रुपये खर्च भी कर डाले --पत्नी बोलो।
--चरूर जुश्रा खेला होगा, हे मगवान ! इसी चोर-जुभारी को तुमने पाच वरस धर
में रख के खिलाया-पहनाया ।
नथुआ सिर झुकाए खड़ा रहा।
--चावबू जी इसे पुलिस में दे दो--मुन्ना ने राय दी।
परन्तु न जाने क्यो मुझे पुलिस वाली बात पसन्द नही भाई. . .रुपये मिल ही गए
ये, भ्रव केवल पन्द्रह रुपयो के लिए थाना-पुलिस! इसके लिए इतना ही दण्ड काफी होगा कि
चरसे निकाल दिया जाए 1 भ्राखिर चोर को कोई घर में रखेगा ?--जाने दो रुपये तो मिल हो
गए। बस इसे घर से निकाल दो. . मैंने फैसला दिया।
--उठा वे अपना सामान और निकल जा घर से-- मून्ना गरजा।
--नथुआ ने किसी ओर नही देखा, अपना एक भी कपड़ा नहीं लिया, सिर झुकाए
तेजी से भागता चला गया।
~+ + न-
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