आकाशवाणी विविधा | Akashvani Vividha

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Akashvani Vividha by पं. जवाहरलाल नेहरु - Pt. Jawaharlal Nehru

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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३१०० का नोट ও --वाव्‌ जी, मैने नही लिया नोट---वह रुआवना हो झाया--आप मेरे माई-वाप है, क्‍या आगे मैने कुछ चुराया है? --तृ तो बड़ा सत्यवादी हरीचन्द है। पहले भी तो भीख मांगता, चोरी करता था। आज इस बड़ नोट को देख के फिर नीयत फिसल गई होगी 1 नयुआा ने उत्तर नही दिया, सिर झुकाएं रहा। मुन्ना भी आ गया था । वह नए खून का लड़का है। उसने तो सवेरे ही नयुआ को चोर करार दिया था। अब तो वह विश्वास सत्य वन चुका था! सारौ रात हमने साम-दाम, दड-भेद से कामले कर नोट का पता जानना चाहा 1 परन्तु चयुआ था कि एक चुप श्ौर सौ को हराए. . वस रोए जाता था । रात भर मैं उसे साथ लेकर फिर घर का राई-रत्ती खोज गया। नोट नही मिला और अब मेरा सन्देह भीं जड पकड गया था । -वदमाश, कमीने, चोर ! वता नोट कहा रखा है ?--मैनें उसके कान खीच कर दो झापड़ रसीद किए। मुन्ना ने भी काफी मरम्मत को परन्तु नथुआ की नहीं” 'हा' में नहीं बदली । उसकी कोठरी में रखें उसके दूठे बक्स की तलाशी भी ली, . .उत्तमें फूदी कौड़ी भीनथी। --आुलिस में दे दो जी--पत्नी चीखी--यू ऐसे कवूलने वाला नही। जब वहां चूतड़ो पे वेत पडगे, एक मिनट मे चीं बोल जाएगा 1 मुझे भी उसके टर्े मन पर क्रोध था, नोट उसके सिवा किसी ने नही लिया । घर में कुल तीन प्राणी हैं और चौथा नथुआ है। मैने उसका हाथ पकडा और थाने ले चला। वह घर से चाहर नही जाना चाहता था । द्वार से चिपट गया । मन्ना ने खींच कर वाहर किया । हेम दोनो चले ! थाना सामने आरा गया । --अब भी बता दे--मैने पूछा--नही तो फिर तू है और जेल है । जेल ! , . . . . .नथुआ एक बार कांपा और फिर बोला--वाबू जी घर से चलो। मैं रुपये अभी देता हू । भ्रोफ कंसा पक्का चोर ह, कितनी मुदिकल से क्वूला हं ! . . . . . . मैं उसे लौटा कर घर लाया, अ्रपनी कुठरिया का एक कोना खोद कर उसने एक हडिया निकाली उसमें से बिन कर रुपये निकाले, कुल पच्चासी रुपये निकले ? --नोट तुड़ा कर उसने एक दिन में पन्द्रह रुपये खर्च भी कर डाले --पत्नी बोलो। --चरूर जुश्रा खेला होगा, हे मगवान ! इसी चोर-जुभारी को तुमने पाच वरस धर में रख के खिलाया-पहनाया । नथुआ सिर झुकाए खड़ा रहा। --चावबू जी इसे पुलिस में दे दो--मुन्ना ने राय दी। परन्तु न जाने क्यो मुझे पुलिस वाली बात पसन्द नही भाई. . .रुपये मिल ही गए ये, भ्रव केवल पन्द्रह रुपयो के लिए थाना-पुलिस! इसके लिए इतना ही दण्ड काफी होगा कि चरसे निकाल दिया जाए 1 भ्राखिर चोर को कोई घर में रखेगा ?--जाने दो रुपये तो मिल हो गए। बस इसे घर से निकाल दो. . मैंने फैसला दिया। --उठा वे अपना सामान और निकल जा घर से-- मून्ना गरजा। --नथुआ ने किसी ओर नही देखा, अपना एक भी कपड़ा नहीं लिया, सिर झुकाए तेजी से भागता चला गया। ~+ + न-




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