नदी का मोड़ | Nadi Ka Mod

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Nadi Ka Mod by श्रीराम शर्मा - Shri Ram Sharma

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्रीराम शर्मा - Shri Ram Sharma

Add Infomation AboutShri Ram Sharma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
नदी का सोड़ ६ पावती जव ससुराल से श्राई, तो तभी उसे पता चला कि उसके पिता जसपत का लाला घनपतराय से मुकदमा चल पड़ा है। उस मुकदमे के कारण जसपत परेशान था । पार्वती को श्रपने घर वुलाने का उसका श्रौर कोई उदेश्य भले हो कुछ न टो, पर एक यह्‌ अ्रवश्य था कि वह लड़की के द्वारा उसकी ससुराल से कुछ रुपया प्राप्त करे । उसे भरोसा था कि यदि वह रुपया पा जाये, तो यह लाला धनपतराय को नीचा दिखा सकता है । क्योकि उसका एक मत यह भी था कि लाला ने उसके साथ बवेईमानी की हैं। उसे अ्रनपढ़ समझ कर वही पर अंग्रूठा लगवा लिया और पचास रुपये देकर उन्हें पांच सौ रुपये वना दिया । वह प्रत्येक वषं नया कार भी वदलवाता रहा । मूल के साय सुद भी चढ़ता रहा श्रौर जसपत समता था कि उसने मय सुद के रुपया दे दिया ] किन्तु उसने जो-कुछ दिया, लाला की वही में उसका कोई उल्लेख नहीं था । अपनी उस परिस्थिति में ही, पार्वती को घर वुलाकर; जसपत ने उसे सभी वातें बताईं । उससे रुपये की भी माँग की । उसी प्रसंग में जसपत ने पावंती को यह भी वताया कि उसके इवसुर के पास प॑सा है। वह जब से उस घर में गई है, उनका भाग्य खुल गया । उसने कहा कि यह तो अपने-अपने भाग्य की बात है, तुके वेटी वना कर भी, मैं कंगाल वना रहा । ठीक से तेरी सार-सम्भाल भी नहीं कर सका | पर जब ओऔलाद समर्थ होती है, तो उसे मौन्वाप का भी ध्यान रखना पड़ता है | वेटी और वेटे में भला कब अन्तर माना गया है । जिस समय जसपत ने श्रपनी पत्री के समक्ष वात रखी, तो पवेती कौर्म भी वहाँ थी | उसे बुखार था | चारपाई पर पड़ी थी । वाप-वेटी उसी के पास बैठे थे । . तभी जसपत ने पत्नी को टंकोर कर कहा--“क्यों, पार्वती की माँ, ठीक है न! यही हमारी लड़की है, यही लड़का ! पत्नी ने साँस भर कर कह दिया--“ठीक तो है 1” उस समय - पावंती मौन थी। वह चुपचाप सिर भुकाये ज़मीन कुरेद रही थी । जसपत्त ने कहा--“पावंती, तूने सहारा नहीं दिया, तो यह्‌ घर उजड़ जायेगा । धनपत कूरकी लाकर सभी कु श्रपने हाथमे करलेगा। तु समभ ले, फिर वाप का घर नहीं मिलेगा | इस तरह यह जीवित भी न रह सकेगा ।” पावंती ने कहा--“पर चाचा, मैं प॑सा कैसे पाऊं। वहाँ से नहीं मिलेगा । कोई नहीं देगा ।” जसपत से श्रपने स्वर पर जोर दिया--”क्यों नहीं मिलेगा, पैसा ! हमने




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now