अशोक | Ashok
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
44.09 MB
कुल पष्ठ :
360
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about भगवती प्रसाद पांथरी - Bhagwati Prasad Panthari
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सपा एव मय स्थिर
प्ः . शोक
विदित होता है कि इन कथा-वस्तुश्रों का ध्येय ब्राह्मणु-घर्मी चाएडा-
शोक श्रौर बोद्धघर्मी धर्माशोक. के मध्य अन्तर दिखलाना था।
इसी हेतु बौद्ध-घ्म ग्रहण करने से पूव अशोक को एक “नरक” का
निर्माणुकर्ता भी कद्दा जाता है। इसे नरकागार में कई. निरपराघ
व्यक्ति, विभिन्न यातनाश्ओं द्वारा पीड़ित किये जाते थे ((51128 छिपते-
छा 96-98, . 4 सी-यू-की
छए. 85) लिखता है, “पाटलिपुन्र ( पात्तली इच्त
के लड़कों का नगर) के प्राचीन प्रासाद के उत्तरी भाग ' में एक
कई फीट ऊँचा पत्थर का स्तंभ है; यह वही स्थान है जहाँ. पर
अशोक राज ( 9 ने नरक बनवाया था ।”: परंठु
पीछे उपयुस* के प्रभाव में श्राकर वे बौद्ध हो चले । इसके अतिरिक्त
““्रशोकावदान” में कमेंचारियों श्रौर ख्रियों के संहारक
के रूप में दिखलाया गया है । तथा उसे ब्राह्मणों को मरवानेंवाला भी
कहां गया है । अतः प्रकाशित हैं कि इन गाथाशओओं का उद्द श्य अशोक
को बौद्ध-घर्सी होने ' से पहले ““चार्डाशोक” प्रमाणित करना है |
उनका ध्येय अशोक के पूव चरित्र को कलुषित्र करके श्रपने धर्म की
प्रतिभा प्रमाणित करनी थी कि - बौद्ध-धम ऐसे दुश्चरित्रों को भी
पुण्यशील बना सकता है' |
कया अशोक क्र एवं थे ?--यदि श्रशोक ने
सिंदासन के युद्ध में केवल एक भाई का निधन किया तो: इसके प्रति
अशोक को “ाण्डाशोक” कहना उपयुक्त नहीं है। दक्षिणी
गाथाओं के अनुसार भाइयों के निधन की संख्या झलंकारिक हे ।
यह भी कहा जा सकता हे कि ये भ्रातृगण सोतेले भाई थे । मद्दाबोधि-
वंश ( पृष्ठ €€. ) के श्रनुरूप ६८ भाइयों ने मिल कर युवराज सुशीम
की श्ध्यक्षतां में अशोक के 'विरुद्ध चढ़ाई की । अतः ऐसी श्रवस्था
में अशोक भाइयों के मारे जाने का उत्तरदायी नहीं है । किन्ठु इन
१उपयुप्त को बिना चिन्हों वाला बुद्ध भी कहते हैं । (अलक्षणा वुद्धाः ।)
User Reviews
No Reviews | Add Yours...