हिंदी समास रचना का अध्ययन | Hindi Samas Rachna Ka Adhyayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१० [ हिन्दी समास-स्चना का अध्ययन शब्दों के रूप में दो स्वतंत्र अचों का बोध नहीं कराते हैं। उदाहरण के लिए ভিন্বী भाषा का धोड़ासाड़ी' शब्द है। यदि वाक्य में घोड़ा” गाड़ी शब्दों सै अभिप्राय घोड़ा और गाड़ी! दो मित्र वस्तुओं से है तो ये शब्द मिलकर वाया का रूप लेंगे । परन्तु 'घोड़ामाड़ी' से अभिष्राय केदल उस गाड़ी से है जो घोड़ी द्वारा खीची जाती है, तो ये शच्ट वाक्या के स्थान पर समास हैः वर्योकि বলাম रूप में समास्त शब्द 'घोड़ा' और गाड़ी-इस दो भिन्न अर्थो को नहीं, अपितु 'धोड़ों सा खच जाने वाली गाडी दस एक अर्यं को प्रकढ करते हैं। ऊपर के विवेचन से स्पष्ट हे कि समास रचना में उन दो शब्दों का योग होता है जो वाक्य के स्वतंत्र अंग होति हं । परन्तु समास स्वना मेँ वक्व के प्रत्येक शब्द का योग भ्रतयेक शब्द के साथ नही हो सकता 1 केवल सन्तिकट रचनांगों ( [णावा भर (005 ) के वीच ही समास सवना हो सकती है। दूसरे शब्दों में सन्निकट रचनांगों के शब्द ही परस्पर मिलकर समास रचना के लिये समर्थ हो सकते है । अथवा जो छब्द परस्थर मिलकर संज्ञा, सर्बनाण, विदोपणु, अव्यय, क्रिया आएंदि पद बनने में समर्थ हैं, वे हो समास का खूप ले सकते है । संन्तिकट रचनार्भो से जभिप्राय उन शब्दों सेद. जो किसी सम्बन्ध“विशेष के कारशा परस्पर जुटे रहते है । सन्निकट বনানী का यह सम्बन्ध निम्न स्थितियों में देखा जा सकता है :--- - (१) वाक्य के জী रूपांण कर्थ की हप्टि से समानता लिए हुए रहते हैं; जैसे-हिन्दी वावय “उसके पास धने-दौलत है मे श्वन' गौर 'दौलत' शब्द समानार्थी हैं । इसीलिए दोनों ब्द परस्पर सन्तिकट रचर्नांग माने जारयेगे । (२) वाक्य के जो रूपांश एक सी रूपात्मक सत्ता लिए हुए हो । उदाहरण के लिए हिन्दी वाक्य वंलगाडी चच रही रहै मं बैलगाड़ी के হীলী হাল্ছ কিনা के कर्ता रूप में एक सी व्याकरण की सत्ता लिए हुए है । इसीलिए दोनों शाब्द परस्पर सन्तिकट रचर्नगि मानि जायेंगे ।+ ३) चाक्य म कुद रूपांश प्रधान होते हैं, कुछ भप्रघान । जो भप्रधान रूपांश होते हैं वे प्रधान के साथ संलग्त होकर वाक्य के अन्य रूपांशों से अपना सम्बन्ध स्थापित करते हैँ ) परस्पर संलग्त ऐसे प्रधान और अप्रधान . हपाँंश सम्निकट रचनांग माने जाएँगे । उदाहरण के लिए हिन्दी वाक्य मेरे घर्‌ कथा का वाचन हो रहा है! में कथा का सम्बन्ध केवल वाचन से है । वाक्य के जन्य किसी शब्द से उसका सम्बन्ध नहीं है। वह एक प्रकार से वाचन का आश्रित शब्द हैँ। इसलिए “কথা? और “वाचन वरस्पर सम्निकट रुचनांग ইনি ।




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