ज़िंदगी की राह | Zindagi Ki Raha Par
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
200
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जिन्दगी की राह
सुहासिनी ने रोते हुए सारा वृत्तान्त कह सुनाया। यह
सुनकर मानो डाक्टर पर विजली गिर गई ।
उाक्टर सुहासिनी को धीरज वंवा ही रहेये किपोरिकोमें
कार का हॉर्न सुनाई दिया। सरला टेनिस-रैकेट हाथ में घुमाते
हुए गुनगुनाती हुई हाल में पहुंची । बूढ़ा नायर सामने श्राया ।
वह कुछ कहना चाहता था लेकिन कुछ कह न पाया। उसके
दिल के भीतर से दुःख का प्रवाह उमड़ पड़ा वह् फफक-फफक-
बार रोने लगा ।
“दादा, यह तुम्हें कया हो गया ?” सरला पूछ बंठी।
इतने में वगल के कमरे में अपनी वहन बुहासिनी का रुदन
सुनाई पड़ा । एक छलांग में सरला वहां पहुंची। सुहासिनी
ने उछलकर सरला को गले से लगाया और जोर से चिल्ला
उठी---
“बवहन--- श्रौर फूट-फूटकर रोने लगी। सुहासिनी के
शोक का पारावार न रहा। रोते-रोते उसने सारी कहानी कह
डाली। दोनों बहनें कव तक रोती-कलपती रहीं, कहा नहीं
जा सकता। डाक्टर ने वहत कुदं समाया । लेकिन वे रोती
ही रहीं ।
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