श्री रत्नचन्द्र पद मुक्तावली | Shri Ratnachandra Pad Muktavali
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
216
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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५
च
४.
१०
११
षद्
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१६
शरी रस्नणन्दर पद् सुक्ठलकी
जगत में बड़ो समझ को अ टो
मेष घर यू घी जनम गमायो
कठीन क्षगन की पीर रे
फिग्दह मोरी ध्ोई करो रे
मत कोई करियो प्रीद बुस्र फे फन्द पढ़ेशा
ভু
५६
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ধরন
तू क्यों डूडेंबन बत में तेश माय वसे नैनन में. ७४
नेम शिनन्वा मोने निम अपराधे छोड़ी जी
भर श्यग दिग्य सब क्या डरना
কারে সম্ভুতরী হয रूम गठ जाय न जाणी
অং আনা मृत घछ्ती रे
रसन्प्र जिगर बिपारी मत भोल
विपमा धरा म्म गोरे
पिनबे सुमठा नारी घर आबोनौो प्यारा
कर्म तणी गप स्पारी कोई पार न पाये
मानय को भव पायने मठ आम रे निरासा
समता रस वा प्याक्षा पीष सोई जाणे
ओछो जनम जीरणो थोड़ो सेबट मन में
डरिय रे
कर शुतरान गरीदी सु सगरूरी किस पर
« पिता दे
जग जंजाल सपन वी मामा इस पर क्या
गरभाणा रे
८9
নং
লই
४19 11 1 4
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१-६२
२३-६४
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