गीता नवनीत प्रथम भाग | Geeta Navneet Bhag-1

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : गीता नवनीत प्रथम भाग  - Geeta Navneet Bhag-1

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about केशवदेव - Keshavdev

Add Infomation AboutKeshavdev

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
गीता-नवनीत पहला परिच्देद गीता और उसऊा मानव जीयन से सम्बन्ध गीता शब्द का अर्थ हैं. साई गई या कद्दी गई । सद्मभारत युद्ध खे समय युद्ध का परित्याग करने को इच्छा होने पर अजेन दनो श्रीष्ण ने जो उपदेश दिया बद्दी गीठा है! इसके कहने वाले সি লাদেন উহা ऋषप्पप् रो, तेस कषी ভিত অবনত से प्रकट द्ोता है * च 4 कुरुपाण्डबयोरू थे । शजु ने विमनस्के च गीता भगवता स्वपम्‌ ॥ (महामास्त शान्ति प्यं ३४८} ८) कौरवों और पाढ्वों के युद्ध के समय जब दोनों पक्षों की सेना युद्ध के लिये तेयार थीं ओर अजुंच शोकप्रत्व हो गया या दव छ्य भगवान. ने उसे इसका उपदे दिया या । चिदानन्देन छृष्येन प्रो स्ववतोऽलु नम्‌ । सद्दिरानन्द स्वरूप श्रीरप्ण ने स्वयं मने युस से र्य फो च्छा ও मि या स्ववं पद्मनाभस्य सुखं {सता 1 (अहा० भीष्य० ४३११)




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now