महावीर प्रसाद द्विवेदी और उनका युग | Mahaveer Prasad Dwivedi Aur Unka Yug

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Mahaveer Prasad Dwivedi Aur Unka Yug by उदयभानु सिंह - Udaybhanu Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[{ ड }1 लोननपद्धति १३१ $ युग थी हिट में द्विवेदीऊ़त श्रालोचना वा मूल्यारन १३५, ४. टिन्दी कालिदास की समालोचना १३५, ५ हिदेदी जी वी श्रालोचनाघ्नोम दो प्रकार वै द्न्दरौ की परिणति १३७, ६ भ्ालिदाव की निरकृशता, १३७, ७ 'मैपाचरितचनो' और “विक्रमाकदेव- चरितर्चा! १३८, ८ 'श्रालोचनाजलि! १३८, ६, कालिदास श्रौर उनकी कविताः-- १३६, १० सर्त्त साहित्य पर द्विवेदीङ़त श्रालानना वे मून कारण १४०; ११ 'हिन्दी- शिददावली तृतीय माग री समालोचना १४०, १९ खमालोचनासमुच्यय' १४१, १३. 'विचारपिमर्श! क्रौर লালন? १४२, १४ श्रालोचर द्विवेदी की देन १५२ छठा अध्याय निम्न्‍न्ध ( १४३--१५६ ) १. निष्न्य या अर्थ १५३, २ श्राल चर द्विवेदी द्वारा नियन्‍्धक्ार द्विवेदी का निर्माण .(४४, रे, सम्पादक- द्विरेदी के निय्रथा का उद्देश १४५, ४, द्विवेदी जी के निबन्धों के मूल १४५, £ हिलेदी,जी मे नियन्‍्वा के रूप. १४६ ६. विपय साहिय २४६ जीवनचरित ও विज्ञान হল ইনিহাল 3; भूगोल হজ उद्योगशिल्प ११६ सायाब्यापरण १४६. ध्रप्याम १४६ ५७, उदेशकीदृण्टिमे द्विवेदी जी ॐ निदा के সান १५० द्विवेदी जी रे निरन्या वी ३ शौलिवा-- वर्णनाव्मव के १३० भावात्मक _ “ ২ चिन्तनात्मक १५३ ६ भाषा श्रौर रचनाशैनी--१४४, १९ नित्रा्धा म ड्ियेंदी जी झा स्थिर एव. गतिशील भ ৬ ४




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