डाक्टर सर जगदीशचन्द्र बसु और उनके आविष्कार | Daktar sar Jagdhish Chand-basu Aur Unke Avishkar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
72
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ७ )
वाव भगवानदास फरीद पुर निले के सब-डिनष्हीजनट अफसर थे ॥
आपने इस जिले के कई उकुओं को गिरफ्तार किया था. एक
समय आपने इन उकं के प्रधान नेता को गिरफ्तार किया । इस
डाक को कई वर्ष की सजा हुई। जब यह डाकू जेल से छूटा तब वह
নান भगवानदासके पास आया, ओर अपने उद्रनिर्वाह के अर्थ कोई
काम बताने के लिए उनसे प्राथना की । बाबू भगवानदासने उसे
अपने पुत्र जगदीश की देखभाल के लिए उसे नोकर रखलिया ।
इस डाकृके विषयमें खुद डॉ० बसु लिखते हैं--
८ मेरे पितानि केवल मेरे लिए उसे नौकर रखछिया । मेरी उम्र
इस वक्त चार वर्ष की थी । वह अपने कन्धेपर बिठलाकर मुझे
देहाती पाठशालामें लेजाया करता था । कोई भी घाय डाकुओं के
इस भूतपूर्व नेतासे बढ़कर, जिसका कामही एक वक्त ख़न करना
और लोगोंको हानि पहचाना, रहा है, अधिक सौम्य नक्ष हो
सकती । इस वक्त उसने शान्तिमय जीवन घारण कर लिया था; पर
वह अपनी पुरानी बातोंकों भूला न था ।इस डाकूने ढकेतियों में जो जो
पराक्रम किये जिन जिन बड़ाइयों में हिस्सा लिया, उसके कई
साथा ज़झते जुझते जिस प्रकार मरे या मरते मरते बचे, इन सब
बातों को वह मुञ्च सुनाया करता था । ययपि इस डाक्राजके मन
में देश के आइईन के प्रति कुछ भी आदर भाव नहीं था, पर उसने
कभी किसी के साथ विश्वासघात नहीं किया । उसनें अपने प्रति
ओरोंके विश्वास को पूरी तरह कायम रका उसके इस गुणका परिचय
कई दफा मिला । ?
केम्व्रिजमे अध्ययन ।
हम ऊपर लिख चके हैं कि डेंक्टर बसुकी प्राराम्मिक शिक्षा
¢
ग्रामीण पाठशालामें हुई थी । इसके बाद उच्च शिक्षा आपने कलकत्तेमें
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