समाज शास्त्र | Samaj Sastar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17.58 MB
कुल पष्ठ :
424
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)समाजशास्त--श्रथे एवं प्रकृति 11
लियोपाल्ड वॉन घिजे (1.6०५016 ४० शाट86) ने लिखा है ' कि “सासा-
जिंक सम्बन्ध ही - समाजशास्त्र की. विषय-वस्तु के. एकमात्र. वास्तविक
आ्राघार हैं
जोज सीमल (06०86 की परिभाषा है--“समाजशास्त्र माववीय
अन्त:सम्बन्धों के स्वरूपों का विज्ञान है ।”*
ऑरनोल्ड एम. रोज (70016 9८. ०४८) के अनुसार “समाजशास्त्र
मानव-सम्बन्धों का विज्ञान है ।”*
मैक्स वेबर (वध ने अपनी कृतियों में परिभाषित किया है कि
“'समाजशास्त्र प्रघानत: सामाजिक सम्वन्धों एवं कृत्यों का श्रध्ययन है ।”*
उपयुक्त परिभाषाश्रों में समाजशास्त्र को किसी न किसी रूप में सामाजिक
सम्बन्धों का विज्ञान वतलाया गया है । कुछ विद्वानों ने सामाजिक सम्बन्धों के
विशिष्ट पहलुद्नों को श्राघार मानकर समाजशास्त्र - को परिभाषित किया है तो. कुछ '
विद्वानों ने सामाजिक सम्बन्धों के व्यापक क्षेत्र को समाजशास्त्र में सम्मिलित किया है ।
वस्तुतः सामाजिक सम्बन्धों के श्राघार पर ही समाज की नींव रखी जाती है । सम्पकं
(0०180), संचार एवं श्रन्त:क्रिया : तथा
पारस्परिक जागरूकता 2 के आधार पर विभिन्न व्यक्तियों में
सम्बन्ध पनपते हैं श्रौर इन्हीं के श्राघार पर समाज का निर्माण होता है । इस प्रकार
समाजशास्त्र का सम्बन्ध सामाजिक सम्वन्घों के वैज्ञानिक श्रध्ययन से है ।
3. समाजशास्त्र क्रियाओं एवं अन्त:क्रियाओं का अध्ययन हैं--
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समाजशास्त्रियों की तीसरी श्रेणी में उन विद्वानों को रखा जा सकता है जो
समाजशास्त्र को क्रियाओं या सामाजिक क्रियाओं (80081 या
झ्न्त: क्रियाओं के श्रध्ययन का विज्ञान मानते हैं । इस श्र री के प्रमुख
समाजशास्त्रियों में मैक्स बेबर (85 फ/८७८), सोरिस जिन्सबर्ग (00175
गिलिन और गिलिन ((ं10 & (आपंण) तथा समकालीन समाज-
शास्त्रियों में दालकट पारसन्स (18100 .?875005) को रखा जा सकता है ।
1. शा मा5६ : 50000 & सि०्भघाएं : छिटटाएला;
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