रामचरितमानस | Ramcharitmanas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
63 MB
कुल पष्ठ :
588
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१ श्री गणेज्ञाय चमः ॥
श्री गोस्वामी तुलसीदासकृत
रामचरितमानस
बालकाण्ड
श्री विनायकी टीका-सहित
इलोक--वर्णानामर्थंसंघानां रसानां छन्दसामपि१ ।
मंगलानां च कर्त्तारो वन्दे वाणीविनायकों ॥ १॥
सूचना--श्री तुलसीदासजी श्री रामचरितमानसः नामक ग्रन्थ को भाषा-दोष-रहित
तथा निविघ्नता से सिद्धहोने के हतु श्री सरस्वतीजी ओौर श्री गणेशजी कौ वन्दना करते है ।
उसीके अनुसार श्रीरामचरितमानस की टीका आरम्भ करने के पूर्व टीकाकार-कृत
मगलाचरण-
दोहा--वाणि विनायक पद कमल, नमन विनायक कीन्ह ।
श्री विनायकी तिलक कौ, श्रीगणेश कर दीन्हु॥
१. वर्णाना---धी गोस्वामी तुलसीदासजी अपने महाकाव्य श्रीरामचरितमानस (अर्थात्
रामायण) कै आरम्भदही मे शास्त्र की इस आज्ञाका पालन करते है--“आशीर्नमस्क्रिया
वस्तु निर्देशोवापि तन्मुखम् । अर्थात्, काव्यं के आरम्भ मे (१) आशीवदि-युक्त, (२)
नमस्कारात्मकं, भौर (३) वस्तु-निदंश रूप मद्धलाचरणो मे से किसी एक का होना आवश्यकं
है । इस हेतु यहाँ पर नमस्कारात्मक मगलाचरण किया गया है, भौर मगलाचरणसे ग्रन्थ
के आरम्भ करने काफल शास्त्र मे इस प्रकार है-
आदिमध्यावसानेषु यस्य ग्रन्थस्य मगलम्।
तत्पाठात्पाठनाद्वापि दीर्घायुर्धामिको भवेत् ॥
अर्थात्, जिस ग्रन्थ के आदि, मध्य और अन्त मे मगलाचरण होता है, उसके पढने-पढाने
वाले, दोनो, दीर्घायु और धर्मात्मा होते है।
वर्णाना इसमे तीनों अक्षर गुरं है क्योकि वकार सयुक्त अक्षर के पहले रहने से दीर्घं
समक्षा गया है । जैसा महर्षि पाणिनि ते कहा है कि 'सयोगे गुरु” । इस हेतु ग्रन्थ का
आरम्भीय गण मगण है जो सब प्रकार से श्रेष्ठ समझा जाता है। इसका विशेष पिंगल-
विचार दसी काण्ड की पूरौनी में मिलेगा ।
अथेसघाना --अथे तीन प्रकार के होते है-- (१) वाच्य, (२) लक्ष्य, भौर (३) व्यग्य ।
इनका विस्तार पुरीनी मे है ।
“रसाना--साहित्य के रस नव है सो उदाहरण-सहित पुरौनी मे देखे । 'छन््दसा'-- छन्द
अगणित ই । यथास्थान उनका वर्णन किया जाएगा । यहाँ पर इतना ही लिखना पर्याप्त
है
दोहा--है कल से बत्तीस लौ, छन्द बानवे लाख ।
सहस सतासी आठ सो, छयासठ पिगल भाख ॥
इस काण्ड के छल्दों का पिगल-विचार पुरौनी मे है ।
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