अथर्ववेदसंहिता - भाषा भाष्य - भाग 1 | Atharvaved Sanhita - Bhasha-bhashya - Bhag -1

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Atharvaved Sanhita - Bhasha-bhashya  by

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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न 0018). এরা गणेशभद्ददादा का शिष्य था । $८ वाँ काण्ड उसे হাহ নহীন্থা। আন্ব ^. (९ कांड चिता ओर अन्त्येष्टि विषयक होने से अ्रनिष्जनक समझ कर घर में: দি (৪) 03.) दो खंडे। में । $ में ५-१० कार्ड तक । वेको छोड़ कर शेष सब । ৪, ৮ সি (९ ) [ 0. ] प्राचीन ग्रन्थ ११-२० तक । डेकन कालेज पूना का | २० वां श्रतिरिक्क पत्राङ्कित ! रेखा-स्वराद्धेत ! अति शु ~ ( ६ ) [1).] डेकन कालेज पूना का | १८ वें को छोड़ शेष सब कांड | 1 १६, २० परथक्‌-पन्नाङ्कित । ... . ( ७ ) [.] अति प्राचीन पुस्तक का खड मात्र, ९०-१७ तक और हल সী ১৭1. १० वें के पिछले ३२ मन्त्र ओर रं० वां काण्ड प्रारम्भ के ४ सूक्त, २ मंत्रों द का छाड़ करे । १८, १६ दाना कारंड नहा हू । $८ के २ मन्त्र ह | लास . | ~ |... बिन्दु से रवराक्षित । | है] । ০87 ` (स) [.] केशवभट्र निनदाजी भट अथरैवेदौ ब्राह्मण । संहिता ध और पदसंहिता कण्ठस्थ् थीं । $८ वें को छोड़ समस्त याद थी । টির मद ते: पा द ৮১৯81557857 ( ६ ) [९ ] केशवभट्ट खिखित अन्थ। তা (१०) [ए.] जूनागद के सुन्दरजी दुर्गाशकर का । दो खंड में ! भ्म में १-१० तक | २ यस्न्‍र ११-२० तक | ल० १६४२ ॥। (११) [5. ] १० वें को छोड़ शेष অন্ন | লন के बीच के पत्र ग्रन्थ में से निकाल लिये गये थे । जूनागढ़ के सदाशंकर धनशंकर का प्रारम्भ म--“ ओं नमो बहेदाय्‌ ॥ ओं शन्नो देवी ` (१२) [४.] अंथरव-वेदी वेनकम भट्जी का । ` ये उत्तम वेदुपादी च( , ছি




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