यशोधरा | Yashodhara

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Yashodhara by श्री मैथिलीशरण गुप्त - Maithilisharan Gupt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सम्मिखित न हुई । उससे कहा गया तो उसने यही कहा-- 'भगवान्‌ की मुझ पर कृपा होगी तो वे स्वयं ही मेरे समीप पघारेंगे ।” अन्त में भगवान्‌ ही उसके निकट गये और उस समय सी इस महीयसी मदिला ने उन्हें राहुल का दान देकर अपने मदस्याग का परिचय दिया ।




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