अन्तिम झाँकी | Antim Jhaanki

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जतन वर्पाभिनन्दन १५ पैर तो मुश्किल से पाँच मिनट ही, सुझे राजी रखने के लिए ही द्ववाये और तुरन्त ही सी जाने के लिए कहा । सोते-सोते पुनः मुझसे कहा कि “आज खुबह मैंने जो तुझे कहा, उसे तेरी डायरी में तो पढ़ा । लेकिन जरा गम्भीरठा से विचार करना ! अभी तो में इतना ध्यान रखता हूँ । अगर इतना ध्यान न रखता, तो तू कब की खतस हो गयी होती-या किसी वड़े रोग का शिकार होते देर न लगतो 1 वजन गिरने लगे, कमजोरी मार्म पड़े, तो तत्काल सावधान हो जाना चाहिए । आज जीवराज भी मुझसे कह रहे थे कि यह लड़की अगर भविष्य में ध्यान न रखेगी, तो हैरान हो जायगी । वच्ची है और चढ़ता खून है, इसलिए पता नहीं चल লা {९ में तुरन्त सो गयी और ध्यान रखकर स्वस्थ हो जाऊँगी, यह कहा ।'''को गीताजी सीख लेनी चाहिए । लेकिन “नहीं? कह হই हैं। चापू कते, तोरि उसे मेरे पास रहने का मोह छोड़ देना ही होगा । या तो राजको८ जाय আই पास जाय । यहाँ रहना और सभी वातों में हूठ पकड़ना कैसे चल सकता है १ यहाँ कौन जवर्दस्ती रखना चाहता है १ माई साद्व के साय मौके वर में লী हुई' । भाई साहव ने मोलाना साहव का वह भाषण सुनाया, जो लखनऊ में हा था! आज तो झुलाकातियों की भीड़ इतनी अधिक रही कि देखते हैं) थकान माहछ्स पढ़ने लगती थी । * दस बजे सबने सोने की तैयारी की । वापू ने जल्दी उठकर चिद्यो नदौ लिखायीं और वे बढ़ गयी हैँ। शायद इसीलिए उन्होंने अपने बिस्तर के पास लिखने का सारा सामान रखवा लिया है। ০:৩০ नूतन वपांभिनन्दन ; २१ विरला-भवन, नयी दिल्ली १-१-६८ नियमानुसार ३॥ बजे प्रार्थना हुईं। प्रार्थना के बाद बापू ने पत्र लिखे यहाँ का मामला मेरो राय से कुछ खुधर नहीं रहा है । अभी तो यहाँ बैठा हूँ। पता नहीं, क्‍या हो सकेगा £ पुलिस के ढर से ही शहर में शान्ति है। लोगों के




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