अन्तिम झाँकी | Antim Jhaanki
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
270
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जतन वर्पाभिनन्दन १५
पैर तो मुश्किल से पाँच मिनट ही, सुझे राजी रखने के लिए ही द्ववाये और
तुरन्त ही सी जाने के लिए कहा । सोते-सोते पुनः मुझसे कहा कि “आज खुबह
मैंने जो तुझे कहा, उसे तेरी डायरी में तो पढ़ा । लेकिन जरा गम्भीरठा से विचार
करना ! अभी तो में इतना ध्यान रखता हूँ । अगर इतना ध्यान न रखता, तो
तू कब की खतस हो गयी होती-या किसी वड़े रोग का शिकार होते देर न
लगतो 1 वजन गिरने लगे, कमजोरी मार्म पड़े, तो तत्काल सावधान हो जाना
चाहिए । आज जीवराज भी मुझसे कह रहे थे कि यह लड़की अगर भविष्य में
ध्यान न रखेगी, तो हैरान हो जायगी । वच्ची है और चढ़ता खून है, इसलिए
पता नहीं चल লা {९
में तुरन्त सो गयी और ध्यान रखकर स्वस्थ हो जाऊँगी, यह कहा ।'''को
गीताजी सीख लेनी चाहिए । लेकिन “नहीं? कह হই हैं। चापू कते, तोरि
उसे मेरे पास रहने का मोह छोड़ देना ही होगा । या तो राजको८ जाय আই
पास जाय । यहाँ रहना और सभी वातों में हूठ पकड़ना कैसे चल सकता है १
यहाँ कौन जवर्दस्ती रखना चाहता है १ माई साद्व के साय मौके वर में
লী हुई' । भाई साहव ने मोलाना साहव का वह भाषण सुनाया, जो लखनऊ में
हा था! आज तो झुलाकातियों की भीड़ इतनी अधिक रही कि देखते हैं)
थकान माहछ्स पढ़ने लगती थी । *
दस बजे सबने सोने की तैयारी की । वापू ने जल्दी उठकर चिद्यो नदौ
लिखायीं और वे बढ़ गयी हैँ। शायद इसीलिए उन्होंने अपने बिस्तर के पास
लिखने का सारा सामान रखवा लिया है। ০:৩০
नूतन वपांभिनन्दन ; २१
विरला-भवन, नयी दिल्ली
१-१-६८
नियमानुसार ३॥ बजे प्रार्थना हुईं। प्रार्थना के बाद बापू ने पत्र लिखे
यहाँ का मामला मेरो राय से कुछ खुधर नहीं रहा है । अभी तो यहाँ बैठा हूँ।
पता नहीं, क्या हो सकेगा £ पुलिस के ढर से ही शहर में शान्ति है। लोगों के
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