फूल और कुर्ता | Phool Aur Kurta
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
124
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भातिथ्य
राम गरण को भारत सरहार के অধ-বিমান ফলক करने तीन वपे
योते घूके थे । इततों बड़ी सरकार की व्यवस्या में जगह और उना मधम
पाकर रामशरण मे अनेक ऐसी सुविधायें पार्ट सी जो जन-सापारण के লিউ
स्थप्न-गात्र थी। प्रतिवर्ष मंदानों को तेडपा देते वालों गर्मी से भागपार 2
साय तक विमता शत प्रर जनिदाम ओग मास तर रेहलों ने थाही शहर
को रौनक 1
रामगरण का जन्म हुआ या मेरठ जिते के एक যাহ में, जहाँ मूमि
ऋतु-ऋतु में अपने उदग प्र् हमक ष्वेका प्रहार सर्व र, शटरय उदास्ता
में बीज प्रटग करने से लिए प्रस्युत रहतो | । हरी-मरो फ़्मतों ये विणं
में उस भूमि की रखता कुछ হী ডিন হব पातौ रै दि दिमान पमन फ
काट षेर पने सनिङ्ानो मे मभेद चेते है । जमौन बेचारों बेरौदरक और
उद्दाम हो जाती हूं जौर अपने की इक पाने शो आशा में शिर हंस वा वा
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अद्र नही मिता | ভমবী আব तियाह অনিল হেস্টা गिर् एषषा
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शमधस्य अपने पर से बनस्तर मे खाया थो रशदा या ओग दण्द से
सररार के आर-पर का /साद, करोशे को सब्दा सझ বারী भते प्न
को प्रा देवा एा। अवकाश ने समर रट स्याम-पास बदे दरहियों घर उन्परत
बापु मे सीना शुत्रा, गाएरे सास सेकर, सोन दूर ठर निरा दोध्य शर शहर
बा आवयरर শা ऱ्ता। 5.
और मई हे महोवो ये शिररे जग चारा
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