भूदा-गंगा (द्वितीय खण्ड) | Bhoodan Ganga Part-2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
325
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)इंइनिरपेद रझोक-इत्ति: १
বন হুমা से भुद बी समाप्ति नहीं शो छकती | अगर हम शोग इस तरद की दया
का काम करें, जिलसे निदुर्ता के राज मे दणश प्रश्य के नाते रह जाग निन्पठ की
दुझुमठ मैं दग चले तो इसने अपना सत्य काम नदी भ्या] इम त জী
काम दश के शोत पदे स्ये पनाम मो दौर पड़ते है उने एम इपा और
रचना के ध्येम से स्शपऊ दृष्टि के पिना ई ठ्टालं तो क्षो छवा एममे
अनेगी ঘহ छेवा मी प्तेशौ जिसकी प़िम्मेशरी इम पर है और জি एमने
और दुनिया ने अपना स्वधर्म मरना ऐे |
प्रेम पर भयेखा
मै बूखरी स्पप्न मिषाल रेता हूँ। मुमेः हर कोई पूछता दे कि 'झापका बमन
सरकार पर भी कुछ शीकरे) तो श्राप य क्यो नहीं छोर रूगाते कि सरकार
चरेद कानूल घना दे मोर मिना मुमागम के भूमि गितरण का कोश मांगे छोड दे |
भाय अपना भवन क्यों नहीं इस दिशा में इस्तेमाल करते ! मैं ठनसे बता
দি কই পান্ডা के सागवो में रोकता नहीं। श्रगर श्याप भपनी इच्छित
ग्म एते स्याद्] प्रर प्क कदम युपदे चाएते हैं, के में कटा हूँवि
ছা म्म यैने भपताफा है, रमे पदि मुभे पूरा लए माने पय नदी भिका
बारइ आने, साठ '्राने मी मिल्रा तो कायूत के छिप. सहूक्तिगत ही होगी।
इस तरह एक ला मैं व्मनूत को बा नहीं पहुँचा रह हूँ। धूसो बानून नो
सहूद्धियत मी दे रहा हैं । ठत्के लिए अनुकूश पातावरण बना रहा हूँ, ध्यकि
कानूत भासानी से बनाया धा छके | पर इससे मी एक कदम झागे श्रापक्े॑ दिशा
मै आरके, झोर पही रटन रएूँ कि 'काचून के पिना बह আসন नहीं शोग्य, कामत
नाना चादिप् तो मैं स्वचमंबिद्दीन सामित होऊँया। मेरा कइ पर्म नहीं है।
मेरा चर्म छो बद मानने का है कि उना कानून की मरद से बनता के इदस में
प्म पेते सब निम्न रे छि मून ङण मौ हे लेग भूमिका दरवा
करें] कण किसी कानून % करण माठाएँ बच्चों व्थे दूध पिला रही हैं!
मजुप्य के दुत्ग में ही कोई ऐसी शाक्ति होती है डिससे उछक्ता আনল গুলু
हुआ है। मलुष्द प्रेम पर मरोता रफ्ज है। बह प्रेम मे से वैदा हुआ है, प्रेम
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