वीरविनोद मेवाड़ का इतिहास | Veervinod Mewar Ka Itihas

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Veervinod Mewar Ka Itihas by श्यामलदास - Shyamaldas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सहाराणा अमरसिंह २ चीरविनोद॒ महाराणाके नाम वजीरका खृत- ७३५४ नकल गा टाटा डाटा गान पा सपना वन्य ली भाटी शक तक चौकीदारी करते रहें. यकीन कि वह सदार मुनासिब वक्तमे अज़ करके पं । जवाबसे इत्तिठा देगे. हि+ ११9० न बि० १७५५ न इन १६९८ ३- वजीरका खत महाराणा अमरसिहके नाम बनना हमेदाह बादशाह इनायतोमें बामिठ रहकर खुद रहे दोस्तीकी बाते जाहिर । करनेके बाद माठूम हो कि उस दोस्तका पसन्दीदह खत पहुंचा उसमे बयान है कि बांसवाड़ा देवठिया डूगरपुर ओर सिरोहीके जागीरदार मसूनद नदीनीके वक्त कुछ चीजे तुहफके तोरपर कदीमसे देते हैं इन दिनोमे खुमानसिह डूगरपुरका जर्मीदार | इन्कार करता है. ख़मानसिहके दिखे हुएसे ऐसा अजे हुआ कि उस दोस्तने । जमीदारको पेगाम भेजा था कि अगर दारीक बने तो पर्गनह माठपुरा वगेरहको लूटकर चित्तौड़मे कृब्ज़ा करे ठेकिन्‌ जूमीदारने यह बात कुबूढ न की. इसके बाद उस उम्दहद सर्दारने अपने काका सूरतसिहको जमींदारकी जागीर ठूटनेको रवानह किया ठडाई होनेपर दोनो तरफके आदमी मारे गये अब उस उम्दह भाइने दुबारा दूसरी फौज भेजी है यह बात बादशाही द्गांहमें बहुत खराब माठूम डुई इस मौकेपर इस दुनयाके खैरख्वाह मे ने पथ्वीसिह और रामराय और बाघमठ वगैरह उस दोस्तके नौकरोकी अजके मुवाफ़िक हुजूरमे जाहिर किया कि दूंगरपुरके बकीठने जाठी ख़त बना छिया है उस दोस्तका मत्ठब अजे कर दिया गया बादशाही हुक्मसे इस मुकदमेकी तहकीकातके वास्ते झजाअतखाको ठिखा गया हे कि अस्ठ हाठ दयाफ्त करके ठिख मेजे सुनासिव यही है कि बाददाही मर्जीके न खिलाफ कोई काम न किया ज़ावे जियादह केफियत जगरूप वकीठके ठिखनेसे माठूम ं होगी. ता० १० सफर सन्‌ ४३ जुदूस हिल्ी 9१99 विक्रमी १७५९६ श्रावण शुक्र १२ इन १६९९ ता० ९ ऑगिस्ट ० किसी बादशाही नॉकर कायस्थ केशवदासकी दुख्वोस्त महाराणा २ अमरसिहकी खिडझतमे कक बिल अप पटिय भर नर दिनकर बकैकक कक अकशक लि हा




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