आप्त स्वरुप अन्वयार्थ भाषा टीका | Aapt Swaroop Anvyaarth Bhasha Teeka

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Aapt Swaroop Anvyaarth Bhasha Teeka by अग्रसेन जैन - Agrasen Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ८) धमे से प्रम रहा ह आपकी ऋृतियों से पूर्ण धर्मक्षता टपकती है इसके पत्र आप नियमसार इंग्लिश, भावपाहुड़ इंग्लिश, पुरुषार्थ सिद्धयपाय, हिन्दी धर्म शिक्षावली चारों भाग, नारी] शिक्षादश, रत्नकरंड श्रावकाचार का आधुनिक भाव भाषा शैली पर रोचक व्याख्यानादिक कर च॒के हैं । यद्यपि पको च्रपने गृहस्थ कार्यो से बहुत कम श्रवकाश मिला है तथा आपका स्वा्य भी ठीक नहीं रहा हे फिर भी आपके हृद्य में जिनवाणी कौ सच्ची लगन थी उस ही की धुन में आपने इसे पुरा करके ही छोड़ा हे | हमें आप से आगे भी बहुत आशा है। हमारी भावना है कि आप नीरोग ओर चिरायु ' हों जिससे हमें आगे भी अंगेजी हिन्दी उदूं में अन॒दित या मोलिक रचनाय प्राप्त हो सके ओर जिनवाणी का विश्व में प्रकाश कर सके । रवीन्द्रनाथ जेन रोहतक न्यायतीर्थ १०-५-४ १ हिन्दी प्रभाकर ( 10107 )




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