रोटी का सवाल | Roti Ka Saval
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
284
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१९
रेलों जैसी विशाल राष्ट्रीय सम्पत्ति का कार्य-सञ्चालन भी राज्य संस्था की
अपेता रेलवे मजदूरो के सम्मिलित-संघ द्वारा अच्छे ढंग से हो सकता है ।
दूसरी ओर हम देखते हैं कि यूरोप ओर अमेरिका भर मे ऐसे
असंख्य उद्योग हुए हैं जिनका मुख्य हेतु एक तरफ तो यह है कि उत्पत्ति
के बड़े-बड़े विभाग स्वयं मज़दूरों के हाथो मे आजॉय, और दूसरी तरफ
यह कि नगर-वासियों के हित के जितने काय नगर द्वारा किये जाते है
उनका रत्र सदा अधिकाधिक विस्तीण होता चला जाय । एक तो,
श्रमजीवी संधो की यह प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है कि भिन्न-भिन्न व्यवसायों
का संगठन अन्तरीय दृष्टिकोण से किया जाय, रौर उनको केवल मग्न दरो
फो दशा सुधारने के साधन ही न बनाये जायें, प्रत्युत उन्हे ऐसे संगठन
का रूप दिया जाय जो समय आने पर अपने हाथो में उत्पत्ति की
व्यवस्था भी ले सके | दूसरे, सहयोग उत्पत्ति और विभाजन में और
उद्योग और कृषि में, दोनो, दिशाओं मे ही सहयोग बह रहा है और
आजसायशी बस्तियों मे दोनो ग्रंकार के सहयोगों को मिला कर दिखाने
की कोशिश की ज। रही है। तीसरे, नागरिक समांजवाद का अनेक विभिन्नताओं
से परिषूण रेत्र भी सुला हे । इन दिनों इन्हीं तीन दिशाश्नो मे उत्पादक
शक्ति का अधिक-से-अधिक विकास हुआ है।
अलबत्ता, इनसे से किसी एक को किसी अंश में भी समाजवाद या
साम्यवाद का स्थान नहों दिया जा सकता । इन दोनों का सामान्य झ्र्थ
ही है उत्पत्ति के साधना पर सम्मिलित अधिकार । किन्तु इन प्रयत्नो को
हमें ऐसे परीक्षण--प्रयोग--अवश्य समझना चाहिए , जिनसे मानवीय
विचार-शक्ति साम्यवादी समाज के कुछ व्यावहारिक स्वरूपो की कल्पना
करने को तैयार होती है। इन्ही सब आंशिक प्रयोगों का एक-न-एक दिन
सभ्य रा मे से किसी कौ रचनात्मक बुद्धि द्वारा संयोगहोकर रहेया। किन्तु
जिन इटो से यह महान् भवन निर्माण होगा उससे नमूने मनुष्य की
उत्पादक प्रतिभा ऊँ विपुल प्रयत्न से तैयार हो ही रहे है ।
चाइटन (इंग्लेण्ड) ~
जनवरी १६१३ ` कपादाङ्खन्
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