माखनलाल चतुर्वेदी : जीवनी | Makhanlal Chaturvedi : Jeewani
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
458
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूसिका १६३
इसी वातचीतके दौरानमे मेने एक बात श्रौर कही थी कि गान्धीने
गोर्बोकी भोपडिर्योकी सतदहपर अपने ग्यक्तित्वको भूमिनिष्टं करनेके लिए
यदि राजनीतिके प्रागणमें लेंगोटी धारण की, तो राष्ट्रभारतीके त्षेत्रमें केवल
माखनलाल चतुर्वेदी ही ऐसा अकेला राष्ट्रीय सपूत है जो भॉपडियोंमें
जन्मा, बढा, पला रौर जिसने उन भरोंपडियोको दी राषट्ूके क्षितिज पर
पूजनीय बनानेकी दृष्टिसे उनके तृण-तृणको हिन्दीके मधुपूरित पञ्च बनाते-
र्चाते, धन-बोभिल राजनीतिसे एक क्षुण भी समझौता नहीं किया।
भोपडियोमे दी जन्मने, पलने श्रौर कैशोर त्रितानेके कारण उनका अडिग
विश्वास है और अ्रकाथ्य धारणा है कि भारतके गाँव-गॉवकी एक-एक
भॉोपडीका सौमाग्य तो उस दिन जागेगा, जिस दिन इस देशमें हिन्दीका
स्वराज्य जन-मनका वैयक्तिक श्द्गार बन् जायगा ¡ यह राजनीतिक स्वराज्य
तो घनिर्कोको श्रध्यूटा ( प्रथम विवाहिता स्री ) मानकर उन्दीका श्ङ्गार-
आभूषण जिस रूपमें बन गया है, वह तो राजधानी और महानगरोंमें स्पष्ट
देखा जा सकता है। हिन्दीके स्व॒राज्यके मुँहचोले भविष्यत् आज कौन
बन रहे हैं, इसीका अध्ययन आज अपेक्तित है |
तभी मुझे! एक बात याद आरा गई। एक बार माखनलालजी चतुव॑टीने
भविष्यवाणीके स्वरमें हिन्दी-यजके अच्वयुके रूपसें घोषणा की थी कि “जो
राजनीतिका भोग करना चाहेगा, वह हिन्दुस्तानीको अपना मत देगा।
लेकिन जो मेरे यानी हिन्दीके मरण-जीवनका हामी होगा और हिन्दीके
लेखक--मैं जानता हूँ, मुझे दी अपना मत देंगे, वे मेरे यानी हिन्दीके
साथ आयेंगे । इस देशकी राष्ट्रमाषा वही बनेगी, जो हिन्दीके लेखक
लिखेंगे , न कि वह जो राजनीतिके सन्दर्भमं आदेश देकर तैयार कराई
जावेगी |”!
इसी बातको बनारसके होट्लमें सब मित्रोंको याद दिलाते हुए. मैंने
कहा था, “रवीन्द्रनाथ टैगोर भोग्या राजनीतिकी छुलनामें कभी नहीं भरमे।
गान्धी श्रौर नेहरूके द्वारे वह नहीं आये, ये ही उसके द्वारे पनी वन्दनां
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