अर्थशास्त्र और राजनीति साहित्य | Arthshatra Or Rajniti Sahitya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अर्थशाख साहित्य ११ जज ^^ ^~ ^~ ৯৮, ০৯০৯৮ अव तक उसका नवीन संशोधित संस्करण प्रकाशित होने का अवसर आता; और साथ ही लेखक महाशय अथशासत्र के अन्य भागों पर भी ऐसी ही उपयोगी रचनाएं हिन्दी संसार को भेट कर सकते | प्रष्ठ ५३३ । मूल्य 01) १०--सम्पत्ति का उपभोग--ले०--श्री० दयाशंकर जी एम० ए०, और सुरलीधर जोशी एम० ए०। उपभोग के विपय पर एक मात्र अच्छी स्वतंत्र रचना है । इसमें उपयोगिता, मांग, रंहन सहन, बचत, अपव्यय, दानधर्म और दुरुपयोग आदिं पर प्रकाश डाला गया है । दृष्णाओं से मुक्ति, सादा जीवत और उच्च विचार आदि पर सी एक अध्याय है। मूल्य १), प्र०-साहित्य मन्दिर, दारागञ्ज । ११--र्थशाख ( अप्रकाशित ) । पंरिडत जगतनारायणलाल जी, पटना, ते सिद्धांत विषयक एक सविस्तर अंथ लिखा है। जब यह पूरा होकर छप जायगा तो आशा की जाती दै कि इससे एक चड़े और प्रामाणिक ग्रंथ के अभाव की वहुत छुछ पूर्ति होजायगी जिस के लिये इस समय जिज्ञासुओं को अगरंजी ग्रन्थां का आसरा लेना पड़ता है | । भारतीय अथशासख--दस विपय पर अभी तक निन्न लिखित पुस्तकें प्रकाशित हुई है :-- १--देश का धत--ले०-श्री० राघामोहन गोकुलजी। यह भार- तीय अर्थशाख्च के सम्बन्ध मे सम्भवतः सवसे पहली पुस्तक है ।




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