उद्योगी पुरुष | Udyogi Purush

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Udyogi Purush    by रामेश्वर प्रसाद शर्मा - Rameshwar Prasad Sharama

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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साघन और सिखि 1 श्र लग जाते थे । उसका उत्साह झौर उद्योग सनिद्ायस्था में भी उसका साथ नहीं छोड़ता था । डेनियल झोकीनेल+ जिस समय जीवन श्रौर सन्यु के बीच में खड़ा था आयरलेंड का सला करने के लिए जिस समय उसकी इच्छा थी उस समय उसका मन इर्य को तरगों में हिलोर खाता था श्रौर उसकी पणित्र जिल्नमा से उस समय भी पकऋ-दो वाक्य झाग की खिन- गारियों की तरह निकल कर इज़ारों इृदर्यों में यक मथालक उबाल की तरह जलने लगते थे । सिरुत्साद किसे कहे हैं यह हमवबोदड + कभी नहीं जानता था 1 जिस समय दूसरे लोग बेरार्य का भजन करते हैं विषयों से वीतराग होकर हमेशा लम्बी सास खीचते हुए खमय को व्यतीत करना चाहते हैं झथवा गई-सुज़री बचाता को याद करके पुरानी बातों से खशी अथवा रंज में पड़ते हैं उस समय भी जवानी के नये जोश में रद कर वह ज्ञान का साधन करता था श्र न आना ना उस समय चह झमेरिका का सेनापति था 1 ख़ड़ाई के याद वही यूनाइटेड स्टेट्स का सच से पहला सभापति बनाया गया था | वह पेसा झच्छा था कि झमेरिका के लोग उसे पिता की तरह सानते थे । देसबी सच २5३२ में उसका जन्म डुआ था झऔर ईसबी सन १७5८ से सृत्यु 1 के इईसवी सन १७७५ में आयलैड में इसका जन्म डुआा श्र इंसदी सन्‌ ८४७ में सुत्यु । इसके अयल्र से बहुत दिनों बाद श्रायलैंड की इंगलेंड के झन्याय झौर जुर्म से मली साँति रदा हुई यद पक प्रसिद्ध वक्ता था। + यह जर्मनी का पक्ष प्रसिद्ध विज्ञान-वेत्ता था | ईसवी सन १७६४ में इसका जन्म इुझा झौर रपट में सुत्यु




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