पूर्व की ओर | Purv Ki Or
श्रेणी : नाटक/ Drama
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
58 MB
कुल पष्ठ :
184
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नाटक के पात्र
वीरवम्मो--घानन््वकटक का राजा--उपाधि पह्लवेन्द्र ।
अश्वत' ग--ती खर्म्मां का भतीजा |
गजम ३--अ्रश्वतुज्ञ का साथी, विदूषक |
जय स्थविर--नागार्ज नी कोश्डा ( श्रीपवत ) के एक विहार का
तान्त्रिक बौद्ध भिज्ञु |
चन्द्रस्वामी-श्रषठी च्रौर व्यापारी, प्रतिष्ठान प्रदेश का निवासी
স্সীয जलयान का स्वामी |
अवन्तिसेन महानाविक-जलपोत का सन्चालक |
कनः पकेतु--धान्यकटक का एक धनाव्य व्यापारी |
जिध्णु--मगध का एक निर्वासित नागरिक जो नागद्गीप में रहने
लगा था |
धारा--जिष्णु की पुत्री ।
तूम्बी--नाग-छीप की स्त्री
गौतमी--कन्दप केतु की पुत्री ।
मन्त्री, भट्टननागर, दंडनायक, नाविक, मारी; द्वारपाल,
योद्धा, नागद्ठीप के निवासी, वारुण॒द्वीप के निवासी, नांगद्वीप
वासिनी खियां इत्यादि ।
स्थान--घान्यकयक, नागाज॑नी कोडा, प्रतिष्ठान और नागद्दीप
तथा वारुण द्वीप |
समय- तीसरी शताच्दि के श्नन्त के लगभग |
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