सूर की भाषा | Soor Ki Bhasha
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
624
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand){ १६ )
कंठिनाई--५९२, संपादक शा दृ्टिकोभ लोौर क्ष्य; उवरि दिशा में प्रयल कै
मादश्यकता--५९४; पुर-्काव्य के पाठ के समत्या--५९५, लिखित पाठ, कंठस्थ
पाठ, भक्तो का कंठस्प प्राठ, गरायहों बा कंठस्थ पाठ; सूर-काब्य को हस्तलिछित
प्रतिया--५९७, , सूरसायर वी प्रतियाँ--५९७, सूर-सारावलो दी प्रतियाँ, साहित्य
लहरी की प्रतियाँ--६०१; मूर के दृष्टिकूट जयवा भूर-यतव सटीक, मूर-पदावनी
भरूढायं--६०२; सूर के नाम से प्राप्त अन्य ग्रंथ ६०२, एचादशी माहाह््य--६०२,
चबीर, गोबद्धन-लीला, दशमस्कंघ, द्म स्कघ टोदाय, नलदमयंती, नायलीला--६०३;
पद-सम्रह, प्राणप्यारो, भागवत-भाषा, भेंवरगीत, मानसायर--६०४; राम-जउन्न,
रुविमणी-विवाह, विप्शुपद, ब्याहतो--६०५; सुदामा-चरित्र, नूर-पच्चीमी, सूर-
पदावली, सूर-सागर-सार, सेवाफत--६०६, हरिवंश टीवा--६०७; सूर-काप्य के
प्रकाशित संस्करण-६:७ मूरमायर--९०२, मूर-नारावनौ --६११, साहित्य-
लहरी--६१२ सूरदाप्त के प्रामाणिक प्र८--५१३, सूर-हत प्रंपों के प्रामाणिक
सस्करणों को आवश्यकता अब नो है--६१४ ॥
नामानुकमणिका ६१८-६२४
संकेत-सुचो
सा० प्र० सभा : नागरी-प्रचारिणी खमा, कारी!
लहरी० : 'माहित्यलहरी, लहरियासराय |
লাগ 2 शूरमागर', नागरी प्रचारिणी ममा, बारी )
सागर : “मूरसागर*, नागरी भ्रचारिणी सना, বাণী |
मा नति : '“पूरसागर', नवलजिश्योर प्रेस, लखनऊ ॥
सा হণ : 'ृरसागर', वेबटेश्वर प्रेस, दवई।
নাও. £ भक्षिप्त सूरसायर, डा० वेनीप्रसाद 1
सारा : 'मूरसागर-सारावलो', नवतविद्ोर प्रेस जोर
বনি प्रेस के आरंभ में प्रवाधित 1
संकेत-चिह्न
जि ४ व, हस्व रूप ।
४: खा. अनुच्चरित रूप 1
> > पूद्प से पररूप मे परिवर्तन-सुदव ॥
< ४: पररूप से पूर्वरूप मे परिवतंन-सूचक
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