हस्तलिखित हिंदी ग्रंथों का 18वां त्रैवार्षिक विवरण : भाग 1 | Hastlikhit Hindi Grantho Ka Atharhva Trevarshik Vivran Bhag-1
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
608
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about विश्वनाथ प्रसाद मिश्र - Vishwanath Prasad Mishra
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(११)
उनममिं मंडप निरवांन देवा सदा जीवत मावना मेव ||
छोलीन पूजा मन महूप सति सति भापत श्री दुत्तदेव अवधूत ॥ 4 ||:
> | ৯ म
हणदंत का पद्
वाघनि रोरे वाघनि लो वाघनि है बट पाड़ी छो।
देत करे धट भीतरि पैसे सोपि रे नौ नाढ़ी को ॥ टेक ||
जिंद भी सोपे चिंद भी सोपे सोपे सुंदुरि काया लो |
% ३८ ॐ
ते नर जोनि कदे नदीं आध्र सति सति भापे हणवंत জীব জী ২1111
৯ > ৯
।} सत्तव॑ती के पद ॥
गहीयौ वाला सत्ति सबद् सुपधारा गगनमंडर चदि प्रीतम प्रसौ ।
= रूप बरन र न्यारा ॥ टेर |
धरता ভু करता मति मानौ स्तिः कौ सवद चिताऊँ।
अवख्ग करम ज्यौ नही मेरौ गुज वीज कदि जार्ज १॥
ॐ ১ ৯
इंच्छया वोऊ आदि रू' माया: यूं सति भाषे सतयंती || ৪ 114 ||
संतों में वावरी साहिबा, बीरू साहव, यारी साहब, बुलला साहब, और विरंच
गोसाई' सुख्य हैं
२--अ्रथम चार संत गुरुशषिप्य- क्रम.से एक ही परंपरा के हैं। एक हस्त छेख में
इनके कुछ शब्द तथा वानियाँ मिली हैं जो रचयिताओं के क्रम से इस प्रकार हैं --
रचयिता रचना ।
वावरीसाहिवा केवल' एक शब्द ।
वीरू साहब दो शब्द् !
यारीसाहव तीन रचना $--इयारी साहब के शब्द, २--रप्रैनी;
३--राम के कहरा ! `
उल्टा साहब साखी । इनके कुछ शब्द पिछले खोज विवरण (२०-२३ )
में भी जा चुके. ।
रचनाओं. काः विषय साधारणतः संत मताजुसार दाशनिक सिंद्धांतों का वर्णन एवं -
ज्ञानोपदेश है | रचना काल किसी में नहीं है, लिपिकाल संचत् १८६७. है-।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...