ऐसे जियें | Ease Jeeyen
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
344
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
आचार्य श्री नानेश - Acharya Shri Nanesh
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मुनि ज्ञान सुंदर जी महाराज - Muni Gyan SundarJi Maharaj
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१ चातुमसि स्वयं के लिए
उपयोगी बनें
इस विराट् विश्व मे यदि कोई श्रेष्ठतम मार्ग है तो वह है, सम्यक्दर्शन
ज्ञान चारित्र रूप मोक्ष मार्ग । इस मार्ग पर चलकर आत्मा ऐसे स्थान पर पहुँच
सकती है जहाँ वह अननन््त-अनन्त सुख मे तललीन हो जाती है। इस मार्ग का
भ्रतीव सरस-वणेन तीर्थकर महापुरुषो ने श्रपनी श्रमृतोपम वाचा के माध्यम से
किया था । अनन्त उपकारी गणधारो ने उसे सूत्र रूप मे गु था और वह आचार्यों
की परम्परा से सुरक्षित रहा ।
आ्राज हमारा अहोभाग्य है कि हमे वही अमूल्य वाणी श्रवण करने को
मिल रही है, पर हम सिर्फ उस वाणी के श्रवण तक ही सीमित न रहे, बल्कि
गहन चितन मनन की स्थिति से उस श्रानन्ददायिनी सरिता मे श्रवगाहन करने
की कोशिश करे । शास्वो मे जो वाक्यावलिर्या होती हैं, वे गहन भ्र्थ से परिपुरित
होती है । शास्त्रीय शब्दो को याद कर लेना एक बात है, भर उसके भ्रथंमे
अवगाहन करते हुए अपनी आचरण भूमि को सम्यक् बनाना, आत्म ग्रुणो मे
अपने आपको रमण करता दूसरी बात है ।
ग्रानन्द रस प्रवाहिनी वीतराग वाणी का महत्त्व यदि जानना है, तो
श्रुति को श्रतुभूति का रूप प्रदान करे ! शास्त्रीय वाक््यार्थ को जीवन मे उतारे ।
आपने कभी गन्ना चूसा होगा, गन्ना चूसते समय आप रस-रस तो चूस लेते है,
श्रौर निस्सार को फंक देते हैं, ठीक इसी प्रकार शास्र मे हेय, नेय, उपादेय तीनो
ही विषयो का प्रतिपादन होता है, श्राप ज्ञेगय की जानकारी करें, हेय को निस्सार
समभ कर छोड दें, और उपादेय रूपी मधुर रस को जीवन में उतार ले, तो
श्रापका जीवन श्रतीव मधुर वन सकता है ।
मै शास्त्रीय विषय के साथ-साथ कुछ बाते आध्यात्मिक जीवन सम्बन्धी
भी कहना चाह रहा हं । अध्यात्म क्या है 7? भीतर कौ प्रकृति का श्रवलोकन
करे कि मेरे जीवन मे अहिसा, सत्य, अचौयें, ब्रह्मचर्य और अपरियग्रह की वृत्ति
है, या इससे विपरीत वृत्तियाँ मेरे जीवन मे उभर रही है। जिसके जीवन में
राग-द्वेष की वृत्तियाँ उभर रही है, तो उसका जीवन पशु से भी बदतर है। पशु
मे कम समभ होने से वह इतना खरतनाक कभी नही हौ सकता जितना कि
मनुष्य वन जाता दै | मनुष्य यह विचार करे कि मैं पशु से निम्न
User Reviews
Renu
at 2019-02-07 10:55:43