श्रीमद आचार्य भीषणजी विचार रत्न | Shrimad Acharya Bhishanji Ke Vichar Ratna

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Shrimad Acharya Bhishanji Ke Vichar Ratna by श्रीचन्द रामपुरिया - Shrichand Rampuriya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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डफोद्घातः श्री आचाय भीखणजी का जन्म मारवाड राञ्यके कंटायिया प्राम में सम्बन्‌ १७८३ की आषाद्‌ शङ्खा त्रयोदशी - सवं सिद्धा त्रयोदशी को मू नक्षत्र मँ सोने के पाये से हुआ था। इनके पिता का नाम बजी संग्बलिचा और माता का नाम दीपाँ बाई था। ये बालकपन से ही बढ़े बंगागी थे और धर्म की ओर विशेष रूचि रखते थे । इनकी जो कुछ शिक्षा हुई वह गुरु के यहाँ ही हुई थी। वे महाजनी में बड़े हुशियार थे और घर के काम-काज को बड़ी कुशछता पृत्रक संभाला करते। पंच-पंचायती के कामों मे वै अग्रसर रहते भ जन्मः भौखणजी का विवाह्‌ कब हुआ यद्‌ माम नहीं परन्तु पता चलता दै कि वह छोटी उमर में ही कर दिया गया था। परन्तु इस प्रकार बाल्यावस्था में ही बेबा- हिकं जीवन में फंस जामे पर भी उनकी आन्तरिक वेराग्य भावानां मेँ फकं नही आया । । भोग और विलास में न पड़ वे ओर भी संयमी और संसार से खिनन्‍न चित्त हो गये। भीखणजी को पत्नी उन्हीं की तरह धामिक प्रकृति की थी। विवाह --




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