एतिहासिक जैन काव्य संग्रह | Aitihasik Jain Kavya Sangrah
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
730
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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प्रभसूरिगीत ( प्रू० ४६-०० ); शिवचूला विज्ञप्ति ( प्रृ० ३३६ 1
वेगड्पद्रावरी ( प्र ३१२ ) }
१६ बींका पूर्वाद्ध ।
छेमराजगीत ( ए० १३४ ) |
३६ वीं का शेपाद्ध ---
जिनदत्त स्तुति ( ५० ४ ), जिनचंद्र अप्टक ( प्र० ५ ), कीत्ति
रत्नसरि चौ० (प्र० ५१) जिनहंससूरि गीत (9०५३ ),
क्षेमईहंस कृत गुर्वाचछी ( प्ृ० २१५ से २१०७ )
३७ वीं का पूर्वाद्ध --
देवतिलक्रोपाध्याय चौ० (प्र० ५७), भावहर्ष गीत ( प्र
१३० ), पुण्यसागर गीत (प्रू० ६७ ), पृज्यवाहण गीतादि
( प्र० ८६, ६४. ११० से ११७ ), जयतपदबेलि आदि साधु-
कीर्तिं गीत ( प्र० ३७ से ४५ ), खरतर गुर्वावलि (प्ृ० २१८ से
४२७ ), कीत्तिरत्न सूरि गीत ( प्रृ० ४०३ ), दयातिलक ( प्रू०
४९६ ), यशकुशल, करमसी गीतादि (प्र० १४६, २०४), भादि 1
शेपाद्ध --
जिनचंद्रसूरि, जिनसिंह, जिनराज, जिनसागर सूरि गीत
रासादि ( प० ५८ से १३२, १०० से २३०, ३३४, ४५१७ ),
खरतर गार्वावलि ( प्र० २२८ ), पि० खर० पटरावरी ( प्र
३१६ ); गुणव्रम सूरि प्रबन्ध ( प्र ४२३ ), विजयसिह् सूरि
से ( प्र २४१ )) पद्महेम ( प्र २ ); समयसुन्दं
गीत
( घ० १४६ ), छप्पय ( पृू० ३७३ आदि।
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