आत्मानुशासन | Atmanushasan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
314
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)८ ९३ )
श्रव दश प्रकार सम्यक्ष का सूचने के श्वि श्राल्ला इत्यादि
सेग्रह रूप জু ক্ষতি हैं।
प्राया छन्द ।
श्राज्ञामार्गसग्रद्भवमुपदेशात् सत्रवी जसंत्तेपात् ।
ब्रिस्ताशथोम्पां भवसवपरसावादिगाड़े च ॥११॥
श्र्थ-आज्ला अर मार्ग तें उत्पन्न भया, वहुरि उपदेश तै
उन्न भया, वरि सूत्र अर चीज ते उन्न भया; बहुरि विस्तार
अर अथनि ते उत्पन्न भया ऐसे आठ तो ए भये | बहुरि अच अर
অহলাল है ्रादि बिपे जाके ऐसा गाढ सो अवबगाद परमावगाद
दोष ये भये, पेसे दण लम्यक्त्व के भेद जानने ।
मावाथै--देय उपादेय तत्त्वनि विपे विपरीत श्चभिम्राय रहित
सो सम्यक्त्व एक प्रकार ह । तादी के श्राक्ञाविक श्र।ठ
फारणनि ते उपजने की श्रपेक्ता ्ाठ भेदे किये हैं. । अर ज्ञान की
परकपेता का सहकार करि विशेषपना की अपेक्षा अवगाढ़ू परसाव-
गाढ ए ढोय भेद फिये हैं । ऐसे इद्ा दश सेद् जानने ।
रारो हसही का विंशेप वर्णन के अधि आज्ञा सम्यक्स
इत्यादि तीन काव्य कहे है
স্পবশহা छब्द।
आज्ञासम्यक्त्वमुक्त यदुतपरिरुचितं वीतरागाज्ञायैव ।
त्यक्तग्रन्थप्रपन्चं शिव परमृतपथं ध्रदधन्मोदशन्ते. ।
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