Swami  by रणजित देसाई - Ranjit Desai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सायं थे दड़ श्रोसस्ठ में दुदा 1 दर की मर्दों की डुदटेय धोरन्ट में स्व पूछो । काम झमातयाय थे दि अदानड दिदडर सटादेद छड़ा हो गया इदायाम बाद रे झाधे दर टिडुटनें पड़े ययों । मुडरा श्दोशार शड श्ीसन्व नें दे दो घाडा दी दिवडर सद्ोरिद दोदा-न - दर कि माध्वयद देंगे बोर दोठे दिवडर यद अदब्या इडेरो शिटरी दो गदी डिं मी टुम्ट्रे ये रन का सार मदद होते या है दा डिन घीनन्व वे को दा दे ददू सस्य है । यइ बड़ी नदाददारी डॉ बाय सुशासन दाद दौखे दिवघटसाव यह द्रव टुपदे देरदार में छपस्दिय हिंया इद्ट्टी डीई दुष्ट सढीं दी 1 लुय सड़ू इसे ददा देठे दि दो डाम ट्ो जाद़ा 1 हम टुम्टारी थी पद दिचाद ढेंगे दौर सचिउ ठन्हेंगि दो देवा मै सदायन बापू दोटे दि देखवाओों का दरदार हूँ नहीं टै । टुस्टारे मंडे दनू सथाइन्टरदिरे वा इयाद नहीं टै । टुस्ट दचागम बाद घाउडी पढ़ ध्यान में रस दाड़िए 1 हद इसारें सायने दरों देय को जादी डैं दंड ददडा दियेद डुस झडूंगे । थदददडा पढ़ते पर दढ़ रंडि है । डस्ारी डपस्थिदि में डदारि दिर्मेश थाप




User Reviews

  • Chaudhary

    at 2018-04-27 02:21:20
    Rated : 8 out of 10 stars.
    Good Book
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