श्री वेदान्त विज्ञानं शिक्षा सर्वस्वे | Shri Vedant Vigyan Shiksha Sarvswe

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Shri Vedant Vigyan Shiksha Sarvswe  by श्री पं. माधवराम अवस्थी व्यास - Shri Pt. Madhavram Awasthi Vyas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(1) श भो वेदीव विहीन छिदा संपंस वैरा प्रकरणं नाम है परमेश्वर की भी याद करे, दीनों का इस सब्‌ भांति हरे ॥ तदं एक. आदमी दश दाति, दश लाख की वेचन फो लाया । सुनकर सव चुप होजाते हैं, कोइ कहते यह पागल आया ॥ फिरते २ इस अमीर के, इक दिन यह मन में आयगई। लेऊ' इक बात परीक्षा हित, हृढ़ता ये दिल में भाय गईं ॥ दोहां-बुलवायों उस पुरुष को, मोल लई इक वात । अचरज माने और सव, अमीर धोखा खात ॥ छ०-धनवान ने कुछ परवाह न कर रुपया इक लाख दिया उसको जो करे सोई कर विचार कर, यह वात कही उससे जिसको ॥ इस अमीर ने यहवात, आपने करे ही में लिखवाई। अक्षर हैं बढ़े २ भारी, सबही के पढ़ने में आई ॥ कुच दिन के बाद थे भाई बंद, इसके हरदम दश्मन मनसे,॥ सब मिलाय इसके नौकर को, लालच पूरा देकर धनसे,। दश हज़ार रुपया लो पहले, ओ मालिकसा तुम्हें मानेंगे । करदो हमारा काम तुम्हें, हम अपना ईश्वर, जानेंगे ॥ दोहा-हध आपके हाथ से, पीता हे यह नित्त। ज़हर दूध में दाल दो, यही हमार निमित्त ॥ छ०-लोलच होता है जग में ऐस, सव कीही मति हर जातीदै। कोई करोड़ में विरता है, जिसकी बुधि वश नहिं आतीहे ॥ लालची नारिं नर पाप करें, ओरों की जान धन लेते हैं । मुखमोन रहे छन भर तन में, प्रो गुना इग्ख मर सेतेईँ॥॥ हाँ करली नौकर पापी ने, मट दूध में जहर मिलाया है। मालिक करे में असम कर, यह पीने के हित लाया हैं ॥




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