श्री चन्द्रप्रभपुरान भाषा (छन्दोबद्ध) | Shree Chandraprabhpuran Bhasha (Chhandobaddh)
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
434
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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कथा लक्षण ।
द् पाइता चारू-अक्षेपणी कथासुजानं, विक्षेप्णी 'बहुरि
पुपाने । सवेणणो तीजी सोहै, निर्वेदनी तूये घु मोहें ॥.२९॥ `
सुन अथे सु इन ए নার, খাব हेतु दिशंत। धुन स्पादवादमें
जोहै, अक्षेपणी कथा जु सोहै ॥ ३० ॥ भिथ्यात दिशा सब
जामें, पूरवापर विरुद्ध सु तामैं। ताको उत्पनह्नन कर, विक्षेपणी
सो मन इरहै ॥ ३१ ॥ तीर्थंकर आदि महानां, पुराण पुरक
उयारुपानां । वृष २ फल बरनन जामें, संवेग नीती जो नामें
॥ ३२॥ संसारमोग थित लक्षण, कारण वेराग ततश्षण ।
निर्वेद चतुथनि येही, ए लक्षण कथा बरेही ॥ ३३ ॥
प्रय महिमा। _
उप्प-पिथ्या कुंजर सिह मोइ पादप झुठार कर, पाप
शापकों ईंदु ध्वांत अज्ञान दिवाकर । क्रोष नामक्तो मत्र मानं
गिरको वज्ञोपम, माया सफरी जाल लोभ घनको सुपोन सम ।
জাম समान है कुगतको, स्र॒गे मुक्तिको श्रणिवर | शुभ ऐसो
अथ महान यह, पढ़त सुनत आनद घर ॥ ३४॥
कवि ख्षुता। वि
भडिल -चद् गहै ज् बाल रु पकडे नागको, चुलुउत सामर
चार फे! सेर्पाजको ।नगये चढ़े जु पशु बन फल तोढहै,
दाडतनी स्यौ प्रधी माषा जोददै ॥ ३५ ॥ (3
चोपाई-सज्जन हांसी करो न मोह, सोधो भ्रूल जहां कह
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