काव्य के रूप | Kavya Ke Roop

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Kavya Ke Roop by गुलाबराय - Gulabrai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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साहित्य का स्वरूप जी साहित्य हमारे अव्यक्त भावों को व्यक्त. कर दमको प्रभावित करता है | हमारे ही विचार साहित्य के रूप में सूर्तिमान हो हमारा नेतृत्व करते हैं । साहित्य ही विचारों की गुप्त शक्ति को केन्द्रस्थ कर उसे कार्यकारिणी बंना देता है । साहित्य हमारे देश के .भावों को जीवित रखकर हमारे व्यक्तित्व को स्थिर रखता है । बतमान भारत- वर्षे में जो परिवर्तन हुआ है और जो धर्म में अश्रद्धा उत्पन्न हुई है वह अधिकांश में विदेशी साहित्य का ही फल है । साहित्य द्वार। जो समाज में परिवर्तन होता. है वह तलवार.द्वारा किये हुए परिवतन से कहीं स्थायी होता है । झाज हमारे सौन्दय-सम्बन्धी विचार हमारी कला का आदशे दृन्परा शिष्टाचार सब विदेशी साहित्य से प्रभावित हो रहे हैं । रोम ने यनान पर राजनीतिक विजय प्राप्त की थी किन्तु यनान ने अपने साहित्य द्वारा रोम. पर मानसिक विजय प्राप्त कर सारे योरोप पर अपने विचारों और संस्कृति की छाप डाल . दी | प्राचीन यूनान का सामाजिक संस्थान वहाँ के तत्कालीन साहित्य के प्रभाव को ज्वलन्त रूप से प्रमाणित करता है । योरोप की जितनी कला है वद्द श्राय यूनानो आदर्शों पर ही चल रही है ।_इन सब बातों. के अतिरिक्त हमारा साहित्य हमारे. सामने. हमारे-जीवन को उपस्थित. जीवन को सुधारत। है। हम एक आदश पर चलना सीखते हैं। हित्य. नोविनोद कर हुसारे जीवन का भार भी हलका करता है। जहाँ साहित्य का अभाव दे वहाँ जीवन इतना रम्य नहीं रहता । साहित्य एक गुप्त रूप से सामाजिक संगठन और जातीय जीवन का भी वद्ध क-होवा है।. हम अपने विचारों को अपनी अमूल्य सम्पत्ति समभते हैं उन पर हम गये करते हैं । किसी अपनी सम्सि- लित वस्तु पर गवं करना जातीय . जीवन और सामाजिक संगठत का प्राण है। अँप्रेजों को शेक्तपियर पर बड़ा भारी गवें है। एक अंग्रेज साहित्यक का कथन है कि वे लोग शेक्सपियर पर अपना सारा साम्राज्य न्यौछावर कर सकते हैं । हसारा साहित्य दमको एक संस्कृति और... एकजातोयता . के सूत्र में बाँधता है। जैसा साहित्य दोहा है वैसी ही हमारी मनोवत्तियाँ हो जाती हैं और हमारी मनोदत्तियों के अनुकूल हमारा कार्य होने लगता दे इसलिए हमारा साहित्य हमारे समाज का अ्रतिबिम्ब ही नहीं वह उसका नियामक और उननायक भी हैं ।




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